दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

1984 सिख विरोधी दंगे से जुड़े सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टली - कांग्रेस नेता सज्जन कुमार

1984 anti Sikh riots: मंगलवार को 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले की सुनवाई टल गई. अभियोजन पक्ष की ओर से कोई सरकारी वकील पेश नहीं हुआ, इस कारण सुनवाई टली. इस मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपी है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 9, 2024, 7:45 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में आरोपी और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टाल दी. स्पेशल जज एमके नागपाल ने मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को करने का आदेश दिया. मंगलवार को अभियोजन पक्ष की ओर से कोई सरकारी वकील पेश नहीं हुआ, जिस वजह से सुनवाई टली. कोर्ट ने 30 नवंबर को बचाव पक्ष की ओर से साक्ष्य बंद कर दिया था.

इस मामले में 1 नवंबर को सज्जन कुमार ने बयान कराया था. वह अभी जमानत पर है. 19 अप्रैल 2022 को अभियोजन पक्ष के दो गवाहों सरबजीत सिंह बेदी और दिलीप कुमार ओहरी ने अपने बयान दर्ज कराए थे. कोर्ट में 93 वर्षीय गवाह डीके अग्रवाल के बयान की सील बंद प्रति कोर्ट में पेश की गई थी. अग्रवाल का बयान कड़कड़डूमा कोर्ट ने 29 मार्च 2022 को उनकी बीमारी और ज्यादा उम्र को देखते हुए उनके घर पर ही दर्ज कराने का आदेश दिया था.

दो लोगों की हत्या का है मामलाः मामला 1 नवंबर 1984 की है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

यह भी पढ़ेंः पांच राज्यों में कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव लड़ेगी आम आदमी पार्टी, सीट शेयरिंग पर चल रही बात

शिकायत के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने दोनों को जिंदा जला दिया. पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया. शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 302, 307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए.

शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी. इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था, लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया. कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त तथ्य हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाएं.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉड्रिंग मामले में ED ने दाखिल की चार्जशीट, 4 लोगों को बनाया आरोपी

ABOUT THE AUTHOR

...view details