नई दिल्ली: गैंगस्टर मोनू बाजितपुर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ गया है. उस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था. बताया जा रहा है कि वो नीरज बवानिया का साथी है, गैंगवार में तीन बार गोली लगने के बाद भी वो हर बार बच निकला. पुलिस के मुताबिक वो कई हत्याओं को अंजाम दे चुका है.
नीरज बवानिया का ईनामी शूटर गिरफ्तार स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा के मुताबिक बाहरी दिल्ली में चल रही गैंगवार में मोनू कई हत्याओं को अंजाम दे चुका है. स्पेशल सेल लंबेसमय से इसकी तलाश कर रही थी.
इंस्पेक्टर संजय गुप्ता और राजेश कुमार की टीम ने इन गैंगों के बारे में जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि नीरज बवाना गैंग का बदमाश मोनू बाजितपुर कई मामलों में वांछित है. हाल ही में उसने नरेला इलाके में हत्या की एक वारदात को अंजाम दिया है.
पुलिस को खबर मिली थी कि मोनू रोहिणी सेक्टर 16 में अपने साथी सोनू से मिलने के लिए आने वाला था. वो यहां सोनू से मिलकर विरोधी गैंग के सदस्यों की हत्या की योजना बनाने की तैयारी में था.
प्लान बनाने से पहले ही हुआ गिरफ्तार
मुखबिर से मिली जानकारी पर पुलिस टीम रोहिणी सेक्टर-16 में पहुंची. कुछ देर बाद वहां दुष्यंत उर्फ मोनू आया और अपने साथी का इंतजार करने लगा. वहां उसका साथी नहीं आया. वोजब इस जगह से जाने लगा तो स्पेशल सेल की टीम ने उसे पकड़ लिया. उसके पास से 32 बोर की पिस्टल बरामद हुई है.
आरोपी दुष्यंत उर्फ मोनू बाजितपुर गांव का रहने वाला है. साल 2010 में गांव के रहने वाले मनोज से उसका झगड़ा हुआ था. इस मामले में गिरफ्तार हो कर वोजेल गया था. वहां उसकी मुलाकात गैंगस्टर काला और नीरज बवानिया से हुई. इनके साथ मिलकर वो कुख्यात गैंगस्टर बन गया. उसके खिलाफ हत्या की कोशिश, लूट, हत्या, और आर्म्स एक्ट के तहत 9 मामले दर्ज हैं.
मुखबरी के शक में की नरेला में हत्या
पुलिस के मुताबिक नरेला के मान पब्लिक स्कूल के पास बीती एक फरवरी को दिनदहाड़े हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था. इस वारदात में मोनू के साथ सुनील उर्फ भूरा, सुखविंदर, रविन्द्र और एक नाबालिग शामिल थे. उन्होंने मिलकर विकास चौहान पर गोली चलाई थी. वह मारुति वैन में किसी का इंतजार कर रहा था. गोली लगने से विकास की मौके पर ही मौत हो गई. इस मामले में मोनू बाजितपुर की जानकारी देने वाले को एक लाख रुपये देने का इनाम पुलिस की तरफ से घोषित किया गया था.
नीतू दाबोदिया गैंग से थी रंजिश
पुलिस की जानकारी में ये भी सामने आया है कि साल 2010 में मोनू बवानिया गैंग से जुड़ा था. इसके चलते नीतू दाबोदिया और अशोक प्रधान से उसकी रंजिश हो गई. नीतू दाबोदिया की मौत के बाद उसका गैंग अशोक प्रधान और राजेश बवानिया ने संभाला. इस गैंगवार में कई लोगों की हत्याएं हुई. मोनू बाजितपुर की हत्या के लिए तीन बार विरोधी गैंग ने प्रयास किया.
पहली बारी में नीतू दाबोदिया ने खुद मोनू पर कई राउंड गोलिया चलाई, लेकिन 5 गोलियां लगने के बाद भी वोबच गया.
25 मई 2018 और 25 दिसंबर 2018 को अशोक प्रधान ने हितेश के जरिए मोनू की हत्या करने की कोशिश की. इन दोनों ही वारदातों में उसे गोलियां लगी लेकिन वो बच गया. इसका बदला लेने के लिए उसने विकास की हत्या की. उसे शक था कि विकास ने उसके बारे में विरोधी गैंग को सूचना दी है.