दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

World Environment Day: अधूरे वादे, कमजोर इरादे, उद्धार की राह देख रही दिल्ली की यमुना - केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

स्वच्छ यमुना दशकों से दिल्ली के लिए एक सपना रही है. हर सरकारों ने इस सपने को नए तरीके से दिल्ली वालों के सामने परोसा. अब केजरीवाल सरकार ने मार्च 2023 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है. इस पर्यावरण दिवस पर ईटीवी भारत आपको रूबरू करा रहा है, सपनों वाली यमुना और असली यमुना की दुर्दशा वाली कहानी से.

सफाई का इंतजार करती यमुना नदी
सफाई का इंतजार करती यमुना नदी

By

Published : Jun 5, 2021, 3:45 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली और यमुना एक दूसरे के पर्याय कहे जाते रहे हैं. दिल्ली को राजधानी के रूप में संवारने में यमुना का भी बड़ा योगदान रहा है. लेकिन सत्ता के केंद्र वाला यह शहर दिन-ब-दिन यमुना को दुर्दशा के दलदल में ढकेलता गया. आज हालत यह हो गई है कि यमुना दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में महज नाले के रूप में सिमटकर रह गई है. ऐसा भी नहीं है कि यमुना का उद्धार चुनावी मुद्दा नहीं बनता, बनता है, लेकिन हकीकत नहीं बन पाता.

सफाई का इंतजार करती यमुना नदी

2015 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने अपने 70 प्वाइंट एक्शन प्लान में 15वें नम्बर पर यमुना के कायाकल्प का जिक्र किया था. उस एक्शन प्लान में यमुना को सीवेज के गंदे पानी से मुक्ति दिलाने की बात कही गई थी. लेकिन पांच साल के दौरान इस दिशा में क्या काम हुए इसे इस बात से समझा जा सकता है कि 2020 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने यमुना में दिल्ली वालों को डुबकी लगवाने के लिए 5 साल का समय मांगा.



मेनिफेस्टो तक ही रहा सफाई का वादा
इन 5 सालों में इतना जरूर बदला कि यमुना की दुर्दशा दूर करने का आम आदमी पार्टी का वादा मेनिफेस्टो में 15वें से 8 वें नम्बर पर पहुंच गया. इस वादे में यमुना के किनारों का सौंदर्यीकरण भी शामिल कर दिया गया. दिल्ली की दो अन्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के घोषणापत्र (Congress Menifesto) में भी यमुना की सफाई का वादा था. भाजपा ने भी यमुना के घाटों के सौंदर्यीकरण की बात कही थी. लेकिन जनता ने मौका दिया, आम आदमी पार्टी को.

ये भी पढ़ें-करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी यमुना की हालत बदहाल, नहीं है नेताओं का ध्यान



अप्रैल में सीएम ने की थी समीक्षा बैठक
इसलिए इनके वादे के मद्देनजर जमीनी हकीकत देखें, तो केजरीवाल सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का भी एक साल पूरा कर चुकी है, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम उठा जाते नहीं दिखे. बीते एक अप्रैल को अंतिम बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना की सफाई से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा बैठक की थी. हालांकि उस बैठक में भी आदेश और निर्देश से ज्यादा कुछ निकलकर सामने नहीं आया.


कोरोना काल में बदले थे हालात
नई सरकार में पर्यावरण मंत्री (Environment Minister) का जिम्मा पाने के बाद गोपाल राय जरूर यमुना सफाई को लेकर कुछ सक्रिय दिखे थे, लेकिन वो सक्रियता भी बीतते समय के साथ यमुना के मद्देनजर निष्क्रियता में बदल गई. ये अलग बात है कि पिछले साल के कोरोना लॉक डाउन के दौरान यमुना साफ नज़र आने लगी थी. लेकिन पटरी पर लौटे आम जन-जीवन ने यमुना को फिर से उसी गंदे नाले वाले पहचान में तब्दील कर दिया है.



सीपीसीबी का जल बोर्ड को निर्देश
बीते 4 दिसम्बर को ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने गंदे पानी के शोधन को लेकर दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) को जरूरी निर्देश दिए थे. पिछले अक्टूबर के आंकड़ों का हवाला देते हुए सीपीसीबी ने जल बोर्ड को कहा था कि पल्ला गांव के अलावा पूरी दिल्ली में कहीं भी यमुना का पानी नहाने लायक भी नहीं है. आपको बता दें कि यमुना में 22 प्रमुख गंदे नालों के पानी गिरते हैं.



यमुना के पानी में नहीं है ऑक्सीजन
गंदे नालों का असर यह है कि दिल्ली में कुछ घाटों पर यमुना के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 3 मिलीग्राम से भी कम पाई गई है. ये आंकड़े इसलिए भयावह कहे जा सकते हैं, क्योंकि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम से कम होने पर उसे जलीय जीव जंतुओं के लिए खतरनाक माना जाता है, मानव स्पर्श के लिए तो यह खतरनाक होता ही है.

स्वच्छता के लिए मार्च 2023 का लक्ष्य
हैरानी की बात तो यह है कि दिल्ली में यमुना के प्रमुख घाटों जैसे कुदेशिया घाट, आईटीओ और निजामुद्दीन घाट पर यमुना के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य पाई गई है. कई सरकारों की कई योजनाओं के खत्म होने और करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद यमुना की बदहाली दूर नहीं हो रही. अब दिल्ली सरकार ने यमुना को 90 फीसदी स्वच्छ करने के लिए मार्च 2023 का लक्ष्य रखा है.

जल बोर्ड को मिली है जिम्मेदारी
इसकी जिम्मेदारी अब दिल्ली जल बोर्ड को दी गई है. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा (DJB VP Raghv Chadha) खुद इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं. इसके तहत सबसे पहले दिल्ली के सभी नालों और यमुना में गिरने वाले सीवर को 'इंटरसेप्ट' किया जाना है. इस योजना के अंतर्गत नालों को अब सीधे यमुना में नहीं गिरने दिया जाएगा. यमुना की सफाई के मुद्दे पर दो राज्यों के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं.



सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दिल्ली जल बोर्ड
दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) लगातार हरियाणा सरकार (Haryana Gov) पर इसे लेकर आरोप लगाता रहा है कि हरियाणा की तरफ से यमुना में छोड़े जाने वाले पानी में प्रदूषक अमोनिया की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो यमुना के पानी के लिए काफी खतरनाक है. बीते अप्रैल महीने में ही दिल्ली जल बोर्ड इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा और कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की.

ABOUT THE AUTHOR

...view details