नई दिल्ली: राजधानी के लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना नदी आज नाले का रूप अख्तियार कर चुकी है. वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज तक यमुना का पानी हर जगह दूषित और काला नजर आता है.
सिमटता जा रहा यमुना का अस्तित्व सिमटता जा रहा है अस्तित्व
बता दें कि यमुना नदी वजीराबाद के पास दिल्ली में प्रवेश करती है और इसी जगह पर बने बांध के माध्यम से यमुना का पानी जल शोधन संयंत्र के लिए भेजा जाता है ताकि जनता की प्यास बुझाई जा सके.
यमुना नदी दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करती है और 22 किलोमीटर की दूरी में ही लगभग18 बड़े नाले यमुना में मिलते हैं. जो अपना सारा दूषित जल यमुना में मिलाते हैं. हालांकि कई बार इसके विरोध में स्वर उठे हैं. लेकिन आज भी इन नालों का पानी बिना किसी रोक-टोक के यमुना में मिलाया जा रहा है, जो यमुना के जल को दिन प्रतिदिन दूषित कर रहा है.
सरकारी उदासीनता है प्रमुख कारण
गौरतलब है कि हर वर्ष बजट में नदियों की दशा सुधारने के लिए भारी-भरकम फंड की व्यवस्था तो की जाती है. लेकिन इस फंड का सदुपयोग नहीं हो पाता. आईटीओ घाट जहां हर साल लाखों व्रती छठ पूजा करते हैं, वहां यमुना में गंदगी के कारण जहरीला झाग बन रहा है. रोजाना इस रास्ते से हजारों अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन किसी का ध्यान यमुना की बदहाली पर नहीं जाता है.
सरकार के दावे हुए विफल
यमुना की दशा सुधारने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बड़े-बड़े वादे तो किए जाते हैं, लेकिन इन वादों पर अमल नहीं किया जाता.