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'12 महीने स्कूल चलाकर बच्चों से बचपन छीन रही सरकार'

दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश की शुरुआत 10 मई से हो गई है. 15 मई से सरकारी स्कूलों में मिशन बुनियाद, रिमेडियल क्लास, योगा और फिजिकल एजुकेशन की क्लास की शुरुआत हो गई है.

ग्रीष्मकालीन स्कूल

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Published : May 16, 2019, 3:24 AM IST

Updated : May 16, 2019, 11:57 AM IST

नई दिल्ली: जानकारी के मुताबिक छात्रों की हाजिरी लगभग 30 फीसदी रही. इसको लेकर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ (GSTA) के महासचिव अजयवीर यादव ने इसे लक्ष्यहीन सरकारी प्रयोग कहा है. उन्होंने कहा कि तुगलकी फरमान के जरिए साल के बारह महीने स्कूल चलाकर सरकार बच्चों से उनका बचपन छीन रही है.

दिल्ली सरकार में असुरक्षा की भावना
अजयवीर यादव ने स्कूल चलाने की योजना को दिल्ली सरकार की असुरक्षा की भावना बताया है. उन्होंने कहा कि पब्लिक स्कूलों से होड़ लगाने और बेहतर परीक्षा परिणाम लाने के चक्कर में शिक्षा मंत्री अपना आत्मविश्वास खो बैठे हैं और इस तरह के तुगलकी आदेश जारी कर रहे हैं.

अजय वीर ने कहा कि अतिरिक्त कक्षाएं केवल चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं. दिल्ली सरकार मात्र बेहतर शिक्षा का झूठा ढोल पीट रही है. उन्होंने कहा कि सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के चलते कक्षाएं केवल नाम मात्र के लिए ही रह गई हैं.

'इन कक्षाओं में बच्चों की रुचि नहीं'
बुधवार से सभी सरकारी स्कूलों में सरकारी आदेश के अनुसार समर कैम्प, रिमेडियल क्लासेस, मिशन बुनियाद और कंपार्टमेंट के छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं शुरू हो गई हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले ही दिन स्कूल में छात्रों की हाजिरी लगभग 30 ही रही. बड़ी संख्या में छात्रों की अनुपस्थिति को लेकर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा है कि सरकार की ओर से शुरू की गई ये सभी कक्षाएं उद्देश्यहीन और गैर-नियोजित हैं, इसीलिए इसमें छात्रों की रुचि नहीं है .

मुट्ठी भर शिक्षकों के भरोसे स्कूल
अजय वीर यादव ने कहा कि कई ऐसे कारण हैं जिसके चलते छात्र इन कक्षाओं में उपस्थित नहीं रहे. इन कारणों पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहला और बड़ा कारण है सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी. 22 हजार अतिथि शिक्षकों को नहीं बुलाने से स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी हो गई है.
उन्होंने बताया कि, ऐसे में मुट्ठी भर शिक्षकों द्वारा कंपार्टमेंट के छात्रों की कक्षाएं, 10वीं 12वीं की निदानात्मक कक्षाएं, मिशन बुनियाद, समर कैंप इन सभी को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि कम शिक्षक होने की वजह से सभी कक्षाओं का टाइम टेबल भी नहीं बन पा रहा है.

बिना मतलब स्कूलों में चल रही क्लास!
इसके अलावा उन्होंने बताया कि अक्सर रोजगार की तलाश में भारी संख्या में लोग अपना घर बार छोड़कर दिल्ली में आते हैं. ऐसे में गर्मी की छुट्टियां ही होती हैं जब वे बाल बच्चों समेत अपने गांव घर जाकर कुछ समय बिताते हैं. अगर इसमें भी सरकार स्कूल खुला रखेगी तो छात्र कैसे आ सकेंगे.

छात्रों के लिए बहुत जरूरी है थोड़ा ब्रेक
वहीं बाल रोग विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिकों की राय का हवाला देते हुए अजयवीर ने कहा कि केवल दिल्ली ही एक ऐसा शहर है जहां 12 महीने स्कूल चलाया जाता है जोकि छात्रों के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने बताया कि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पढ़ाई के बीच में ब्रेक छात्रों के लिए जरूरी है. यदि ब्रेक ना मिले तो छात्रों की पढ़ाई से रुचि कम हो जाती है.

दिल्ली सरकार से नाराज हैं शिक्षक!
यादव ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों में जो छात्र स्कूल आ रहे हैं उनमें से ज्यादातर केवल रिफ्रेशमेंट के लालच में ही स्कूल आते हैं. उन्होंने कहा कि यदि सरकार रिफ्रेशमेंट बंद कर दे तो मुश्किल से 5 फीसदी छात्र ही स्कूल आएंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षकों का भी अपना निजी जीवन होता है. उन्हें भी परिवार को समय देना होता है. ऐसे में शिक्षकों को अवकाश नहीं देना सरकार की मनमानी है.

उन्होंने सरकार को शिक्षक विरोधी बताया. साथ ही कहा कि शिक्षकों का रोष लोकसभा चुनाव के नतीजे आने पर सरकार को अच्छे से पता चल जाएगा.

Last Updated : May 16, 2019, 11:57 AM IST

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