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'सुलभ इंटरनेशनल' को 50 साल हुए पूरे, लगी 50 साल के सफरनामे की प्रदर्शनी

डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने साल 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की थी. आज इस संस्थान को 50 साल पूरे हो गए है. फोटो प्रदर्शनी के जरिये संस्था के जरिये कई नेक कामों को दर्शाया गया है.

sulabh international organization completed 50 years
'सुलभ इंटरनेशनल' को 50 साल हुए पूरे

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Published : Mar 5, 2020, 11:17 PM IST

नई दिल्ली:गुरुवार को सुलभ इंटरनेशनल को 50 साल पूरे हो गए हैं. इस खास मौके पर दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें डॉ. बिंदेश्वर पाठक के इस सफर को एक फोटो प्रदर्शनी और उनके जरिये स्वच्छता को लेकर देशभर में लगाये गए प्लांटों की प्रदर्शनी तस्वीरों के जरिये दिखाई गई.

'सुलभ इंटरनेशनल' को 50 साल हुए पूरे

देशभर में बनाए सुलभ शौचालय

शुरुआत से लेकर अब तक की तमाम तस्वीरों को प्रदर्शनी के जरिये दर्शाया गया था. इसके अलावा सुलभ इंटरनेशनल ने देश ही नहीं विदेशों तक जो शौचालय बनाए हैं, उनके नमूनों की भी प्रदर्शनी लगी हुई थी. सिर्फ शौचालय ही नहीं, पीने के पानी समेत समाज में गरीब और विधवा महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए भी सुलभ संस्थान ने कई नेक काम किए हैं.

डॉ. बिंदेश्वर पाठक को मिला था गांधी पीस पुरस्कार

बायोगैस और 2 पिट शौचालय का निर्माण

सुलभ संस्थान की तरफ से देशभर में कई बायोगैस और 2 पिट शौचालयों के प्लांट लगाए गए हैं. जिसका नमूना इस प्रदर्शनी में भी लगया गया था. आरसी झा ने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया की सुलभ इंटरनेशनल की तरफ से देशभर में कई बायोगैस और दो पिट वाले वॉटर सील शौचालय के प्लांट लगाए गए हैं. जिसके जरिए ना केवल ह्यूमन वेस्ट के इस्तेमाल से बेहतर किस्म की खाद बनाई जा रही है. बल्कि इसके जरिए बिजली और खाना बनाने वाली गैस भी उत्पन्न की जा रही है.

50 साल के सफरनामा की प्रदर्शनी

गांधी पीस पुरस्कार से किया जा चुका है सम्मानित

डॉ. बिंदेश्वर पाठक को आज विश्वभर में फादर ऑफ सैनिटेशन के नाम से भी जाना जाता है. कई लोग तो उन्हें उत्तरार्ध गांधी भी कहते हैं. डॉ. बिंदेश्वर पाठक को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी पहचान मिल चुकी है. साल 2016 में न्यूयॉर्क सिटी के मेयर ने उनके स्वच्छता से जुड़े कामों के लिए सम्मानित किया था. इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से उन्हें 2016 में ही गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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