नई दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court ) ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा के मामले के आरोपी Lakhbir Singh उर्फ लक्खा सिधाना की गिरफ्तारी पर 29 जुलाई तक रोक लगा दिया है. एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने ये आदेश दिया.
पिछले 3 जुलाई को कोर्ट ने लक्खा को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी पंकज अरोड़ा ने कहा था कि Lakhbir Singh मुख्य आरोपियों में से एक है. उसने कोर्ट को एक वीडियो शेयर किया था. जांच अधिकारी ने कहा था कि लखबीर सिंह ने लोगों को लालकिले पर लोगों को बुलाया, तब कोर्ट ने कहा था कि लालकिला पाकिस्तान में नहीं है, हमारे देश में है. उसमें जाने से मना कौन कर सकता है.
जांच अधिकारी ने कहा था कि लखबीर सिंह ने लोगों को 26 जनवरी को लालकिले पर आने के लिए बुलाया. तब कोर्ट ने कहा था कि हम जेल भरो नहीं चला रहे हैं. हम सबको जेल नहीं भेज सकते हैं. कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा था कि आप ये बताइये कि हिरासत क्यों चाहिए. तब अरोड़ा ने कहा था कि 4 जनवरी को ये बुला रहे हैं कि लालकिले आइए. 26 जनवरी को ये ट्रैक्टर रैली के जरिये लालकिले पहुंचते हैं. कोर्ट ने कहा था कि हम उसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे, जिसमें मौलिक अधिकार की बात हो. कोर्ट ने पूछा था कि आपने छह महीने तक क्या किया, आपने जांच क्यों नहीं की. इस मामले के मुख्य आरोपी जमानत पर हैं. पिछले 26 जून को सुनवाई के दौरान लक्खा की ओर से वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने कहा था कि लक्खा का लालकिले में हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा था कि पुलिस ने भी स्वीकार किया है कि लक्खा 26 जनवरी को लालकिले में प्रवेश नहीं किया था.
बता दें कि पिछले 19 जून को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. चार्जशीट में कहा गया है कि 26 जनवरी को लालकिले पर कब्जे की साजिश रची गई थी और लालकिले को विरोध प्रदर्शन का केंद्र बनाने की योजना थी. चार्जशीट में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा फैलाने को सोची-समझी साजिश थी. इस हिंसा के जरिये केंद्र सरकार को बदनाम करने की योजना बनाई गई थी.
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