नई दिल्ली:देश की राजधानी दिल्ली के अधिकांश अस्पताल आग से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं. दमकल विभाग की मानें तो सभी सरकारी एवं बड़े प्राइवेट अस्पताल में जांच के बाद उन्हें एनओसी दी गई है. हर तीन साल बाद उन्हें दोबारा एनओसी लेनी होती है, जिसके लिए दमकल अधिकारी वहां मौजूद सभी इंतजामों की जांच करते हैं. ईटीवी भारत ने लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में आग से निपटने के इंतजामों को देखा और इन्हें काफी बेहतर स्थिति में पाया.
दिल्ली के अस्पताल आग से कितने सुरक्षित ? दमकल विभाग के डिप्टी फायर चीफ ऑफिसर डॉ. संजय तोमर ने बताया कि दिल्ली के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को फायर की तरफ से एनओसी दी गई है. यह एनओसी आग निपटने के सभी इंतजाम की जांच के बाद दी जाती है. 20 से ज्यादा बिंदुओं की जांच करने के बाद ही तीन साल के लिए एनओसी जारी की जाती है.
तीन साल बाद दोबारा पूरी जांच की जाती है और कमियों को दूर करने के बाद ही उन्हें एनओसी मिलती है. उन्होंने बताया कि 9 मीटर से छोटे नर्सिंग होम, टेस्ट सेंटर एवं डेंटल क्लीनिक के लिए एनओसी की आवश्यकता नहीं होती है. उन्हीं बड़े अस्पतालों और नर्सिंग होम को एनओसी की आवश्यकता होती है जहां मरीज रहते हैं.
ड्रिल के साथ किया जाता है निरीक्षण
डिप्टी फायर चीफ ऑफिसर डॉ. संजय तोमर ने बताया कि अस्पतालों में उनकी टीम द्वारा औचक निरीक्षण भी किया जाता है. इसमें अगर किसी प्रकार की कमी अस्पताल में दिखती है तो उन्हें इसे ठीक कराने को कहा जाता है. इसके अलावा समय-समय पर मॉक ड्रिल भी अस्पताल में की जाती है. उन्होंने बताया कि आग लगने का सीधे एनओसी से कोई संबंध नहीं होता है. लेकिन एनओसी उन्हीं अस्पतालों को मिलती है जो सभी सुरक्षा उपाय करते हैं.
एनओसी से पहले होती है यह जांच-
एनओसी से पहले होती है ये जांच कंट्रोल रूम से रखी जाती है नजर
एनओसी से पहले होती है ये जांच लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि उनके अस्पताल में आग से निपटने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं. सभी जगह पर फायर अलार्म लगाने के साथ ही लगभग एक हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
अस्पताल की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है जहां सभी फायर अलार्म का मुख्य पैनल भी है. हल्की सी चिंगारी उठने पर भी वहां पता चल जाता है कि आग किस जगह लगी है. आग से निपटने में सक्षम कर्मचारी भी यहां तैनात हैं. पूरी बिल्डिंग में पानी छिड़कने वाले उपकरण छतों पर लगे हैं. इसके अलावा जगह-जगह फायर एग्जिट प्लान के बोर्ड एवं साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं, ताकि इमरजेंसी होने पर लोगों को पता हो कि उन्हें कहां से निकलना है.