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JNU: स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित

जेएनयू के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में डुअल डिग्री यानी बीटेक के साथ एमटेक और मास्टर ऑफ साइंस पाठ्यक्रम प्रोग्राम करवाया जाता है. इसकी अवधि 5 वर्ष होती है. इस प्रोग्राम में कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग जैसे दो पाठ्यक्रम छात्रों को पढ़ाए जाते हैं.

Seats reserved for foreign students in JNU School of Engineering
स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग

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Published : Sep 26, 2020, 5:11 PM IST

नई दिल्ली :जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में अब विदेशी छात्रों को भी दाखिला मिल सकेगा. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से विदेशी छात्रों को दाखिला देने के लिए 15 फीसदी सीटों को आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. साथ ही कहा गया है कि यह नियम शैक्षणिक सत्र 2020-21 से लागू होगा.

इन छात्रों को मिलेगा दाखिला

बता दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा जारी की गई नोटिफिकेशन के मुताबिक अप्रवासी भारतीय, पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजन, ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया के लिए स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए सीट आरक्षित की गई हैं.

JNU में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित.

15 फीसदी सीटें विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित

स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में डुअल डिग्री यानी बीटेक के साथ एमटेक और मास्टर ऑफ साइंस पाठ्यक्रम प्रोग्राम करवाया जाता है. इसकी अवधि 5 वर्ष होती है. इस प्रोग्राम में कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग जैसे दो पाठ्यक्रम छात्रों को पढ़ाए जाते हैं. इसमें 4 साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई जाती है और अगर छात्र चाहे तो फाइनल ईयर में कोई भी लैंग्वेज चुन सकता है. इन पाठ्यक्रमों में अब 15 फीसदी सीटें विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित रखने का फैसला किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनेगी पहचान

इसको लेकर जेएनयू के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की पहचान बन सके. इसको लेकर पहले भी कई बार अकादमिक बैठकों में विदेशी छात्रों को दाखिला देने का मसला उठाया गया था और अब इसे कार्यान्वित किया जा रहा है.

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