नई दिल्ली:देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास देखें तो जब भी यहां चुनाव होने वाला होता है, उससे चंद महीने पहले झुग्गी-झोपड़ी, अनधिकृत निर्माण, अवैध कॉलोनियों में कार्रवाई और उन्हें राहत देने की बातें जोर-शोर से होने लगती है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने झुग्गी वालों को देने के लिए मकान बनवाएं हैं. कुछ जगहों पर झुग्गी वाले रहने के लिए चले भी गए, वहां उन्होंने अपना बसेरा बना लिया. लेकिन अधिकांश जगह पर आज भी अवैध रूप से झुग्गियों में लोग रहते हैं.
फिलहाल, इन दिनों दिल्ली में अवैध निर्माण को भारी पैमाने पर तोड़ा जा रहा है. यह कार्रवाई आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली नगर निगम कर रहा है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों की जमीन पर अवैध रूप से बसी झुग्गियों को हटाने के लिए अलग-अलग एजेंसियां कार्रवाई कर रही है. इससे इन दिनों झुग्गियों और अवैध निर्माण को लेकर राजनीति जमकर हो रही है. आइए जानते हैं सब...
अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों को नियमित करने की दिशा में क्या हुआ है अब तक?
2008 में जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपनी दूसरी पारी समाप्त करने वाली थी. तब अचानक नवंबर 2008 में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया का केंद्र सरकार ने ऐलान किया. सोनिया गांधी के हाथों प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी बंटवाया गया था. झुग्गी वालों के लिए राजीव रत्न आवास योजना के तहत सस्ते मकान देने की प्रक्रिया शुरू हुई. इतना ही नहीं तब केंद्र की कांग्रेस सरकार की सहायता से शीला दीक्षित ने दिल्ली की 1639 कॉलोनियों में से 1268 को प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी दे दिया. इस सर्टिफिकेट का यूं तो कॉलोनी वालों को कोई फायदा नहीं हुआ. मगर कुछ दिनों बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित पर भरोसा जताते हुए दिल्ली वालों ने उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया.
इससे पहले भी क्या झुग्गी वालों के पुनर्वास व अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी?
दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला वर्ष 1970 से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय से शुरू हो गया था. अलग-अलग समय में करीब 550 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई. लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बाद में बसी और नियमित की जा चुकी कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है. कांग्रेस की सरकार ने 2012 में भी 895 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की अधिसूचना जारी कर दी. लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इन कॉलोनियों को नियमित करने का काम कागजों में ही हो पाया है. इनमें रजिस्ट्री के माध्यम से संपत्तियों की खरीद बिक्री आज तक शुरू नहीं की जा सकी है.