नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर 1 अक्टूबर से विंटर एक्शन प्लान लागू किया जाएगा. इसके साथ ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) भी लागू होगा. वहीं, इससे पहले दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. दिल्ली के किसी भी इलाके में प्रदूषण संतोषजनक श्रेणी में नहीं है. आंकड़े देखे तो कुछ इलाकों में एक्यूआई 200 से 300 के बीच है. लोगों को उम्मीद है कि पाबंदियां लागू होने से प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी.
अगस्त और सितंबर में हुई वर्षा के कारण दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से निजात मिल गई थी. दिल्ली में कई दिन ऐसे रहे, जब प्रदूषण पूरी तरह खत्म हो गया था. दिल्ली का एक्यूआई 100 से नीचे संतोषजनक श्रेणी में दर्ज किया गया था, लेकिन प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े देखें तो दिल्ली में सभी स्थानों पर प्रदूषण मध्यम श्रेणी में है. एक्यूआई 100 से अधिक है. शनिवार सुबह पूरी दिल्ली का औसत एक्यूआई 164 दर्ज किया गया.
धूल और धुआं प्रदूषण का कारण:
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ जितेंद्र नगर का कहना है कि दिल्ली की सड़कों पर वाहनों का दबाव रहता है. साथ ही जगह-जगह निर्माण कार्य भी चल रहे हैं. वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं और निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण है. इसके साथ ही दिल्ली से सटे राज्यों में पराली भी जलाई जा रही है जिससे उठने वाला धुआं दिल्ली की हवा को भी प्रदूषित करता है.
विंटर एक्शन प्लान से राहत की उम्मीद:
दिल्ली सरकार दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर इस बार गंभीर दिख रही है. प्रदूषण की रोकथाम को लेकर इस बार 15 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान बनाया गया है, जिसमें दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट जहां से सबसे अधिक प्रदूषण होता है, उनके लिए 13 अलग-अलग टीमें बनाई गई है. यह टीम वहां पर प्रदूषण के कारणों का अध्ययन कर उनपर काम करेंगी. इतना ही नहीं पराली को नष्ट करने के लिए बायोकेमिकल का छिड़काव किया जाएगा. धूल और धुएं से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम की मॉनिटरिंग की जाएगी.