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कांग्रेस के 'खजांची' ने दुनिया को कहा अलविदा, ऐसा रहा पत्रकारिता से लेकर राजनीति का सफर

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Published : Dec 21, 2020, 8:02 PM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा हमारे बीच नहीं रहे. वोरा ने अपने पांच दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में पार्टी और सरकार में कई अहम भूमिकाएं निभाईं. वह इस साल अप्रैल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस के महासचिव (प्रशासन) की भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने करीब दो दशकों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और संगठन में कई अन्य जिम्मेदारियां निभाईं.

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कांग्रेस के 'खजांची' ने दुनिया को कहा अलविदा, ऐसा रहा पत्रकारिता से लेकर राजनीति का सफर

नई दिल्ली/दुर्ग:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. राजस्थान में जन्मे वोरा ने पत्रकारिता से लेकर राजनीति तक का लंबा सफर तय किया. एक दिन पहले ही वे 92 साल के हुए थे. अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और मां का नाम अंबा बाई था. उनका विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था. उनके चार बेटियां और दो बेटे हैं. वे दो बार (1985 से 1988 और जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

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पत्रकारिता को छोड़ राजनीति में आए

  • मोतीलाल वोरा ने कई वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किया. वोरा ने कई समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया.
  • मोतीलाल वोरा ने 1968 में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा.
  • इसके बाद उन्होंने 1970 में मध्यप्रदेश विधानसभा से चुनाव जीता. मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए.
  • वे 1977 और 1980 में दोबारा विधानसभा में चुने गए.
  • उन्हें 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंपा गया.

वोरा ने 1988 में संभाला नागरिक उड्डयन मंत्रालय

  • मोतीलाल वोरा 1983 में कैबिनेट मंत्री बने.
  • इसके बाद में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त हुए.
  • 13 फरवरी 1985 में मोतीलाल वोरा को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया.
  • 13 फरवरी 1988 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दिया.
  • 14 फरवरी 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला.
  • वे दो बार (1985 से 1988 और जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

गांधी परिवार के बहुत करीबी थे वोरा

अप्रैल 1988 में मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए. मोतीलाल वोरा ने 26 मई 1993 से 3 मई 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर आसीन रहे. मोतीलाल वोरा केंद्रीय मंत्रीमंडल के सदस्य के साथ साथ लंबे समय तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष भी रहे. मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे.

पांच दशकों में वोरा ने निभाईं कई जिम्मेदारियां

वोरा ने अपने पांच दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में पार्टी और सरकार में कई अहम भूमिकाएं निभाईं. वह इस साल अप्रैल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस के महासचिव (प्रशासन) की भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने करीब दो दशकों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और संगठन में कई अन्य जिम्मेदारियां निभाईं.

जीवनभर निभाई जिम्मेदारियां-

  • साल 1968 में वोरा अविभाजित मध्यप्रदेश की दुर्ग म्यूनिसिपल कमेटी के सदस्य बने.
  • साल 1970 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा.
  • 1972 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने.
  • 1977 और 1980 में भी विधायक चुने गए.
  • मोती लाल वोरा मध्य प्रदेश की अर्जुन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.
  • 1981-84 के दौरान वे मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन भी रहे.
  • मोतीलाल वोरा 2 बार सीएम और केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे.
  • लंबे अर्से तक वह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे.
  • 13 मार्च 1985 से फरवरी 1988 तक वह पहली बार एमपी के सीएम बने.
  • 25 जनवरी 1989 को वह दोबारा मध्यप्रदेश के सीएम बने.
  • 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य-परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला.
  • 26 मई 1993 से 3 मई 1996 तक वोरा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे.
  • 22 मार्च 2002 को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बनाए गए.

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