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डीयू: ओबीई प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए, छात्र और नोडल अधिकारी होते रहे परेशान - Ramanujan College Delhi

दिल्ली विश्वविद्यालय में आज से छात्रों की ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा शुरू हो गई है. लेकिन जिस तरह से अगस्त माह में फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित हुई ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा में छात्रों की समस्या बरकरार है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामानुजन कॉलेज के अधिकारियों से बात की.

OBE administration claims proved hollow in delhi
ओबीई प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए

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Published : Dec 12, 2020, 10:51 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली विश्वविद्यालय में आज से छात्रों की ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा शुरू हो गई है. वहीं करीब डेढ़ लाख छात्र घर और छह हजार छात्र परीक्षा केंद्र पर जाकर परीक्षा दे रहे हैं. लेकिन जिस तरह से अगस्त माह में फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित हुई ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा में छात्र आंसर शीट अपलोड, नेटवर्क की समस्या से जूझते रहे थे. वही समस्या आज से शुरू हुई ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा के दौरान भी बरकरार है. वहीं इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामानुजन कॉलेज के नोडल अधिकारी प्रोफेसर कमलेश कुमार रघुवंशी से जब बात की तो उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान कई छात्रों को उत्तर पुस्तिका अपलोडिंग से लेकर नेटवर्क की परेशानी आ रही है.

ओबीई प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए
पोर्टल पर उत्तरपुस्तिका अपलोड नहीं कर पा रहे छात्र

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामानुजन कॉलेज के नोडल अधिकारी प्रोफेसर कमलेश कुमार रघुवंशी ने बताया कि छात्रों के सुबह से ही फोन कॉल आने शुरू हो गए थे. जिसमें छात्रों की शिकायत थी की पोर्टल पर प्रश्न नहीं दिखाई दे रहे है. विश्वविद्यालय प्रशासन से बात कर छात्रों को प्रश्नपत्र उनके व्हाट्सएप पर भेजा. उसके बाद छात्रों को उत्तर पुस्तिका अपलोड करने की परेशानी आई. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से निर्देश था कि उत्तर पुस्तिका केवल पोर्टल पर ही अपलोड किया जाएगा लेकिन पोर्टल पर अपलोड करने में खासी परेशानी आ रही है.

योजनाबद्ध तरीके से परीक्षा नहीं ले पा रहा विश्वविद्यालय

प्रोफेसर कमलेश ने बताया कि जम्मू कश्मीर, नेपाल, बिहार बंगाल आदि जगहों से भी छात्र बार-बार फोन कर रहे हैं. वहां इंटरनेट की असुविधा के चलते छात्रों को खासी परेशानी हो रही है. यहां तक कि शिक्षकों को भी कुछ बिंदुओं को लेकर स्पष्टता नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि पहली आयोजित हुई ओबीई के दौरान आई परेशानियों से विश्वविद्यालय प्रशासन सबक लेगा लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बरकरार है.

छात्रों को हो रहीं समस्याएं

प्रोफेसर कमलेश ने कहा कि विश्वविद्यालय में योजनाबद्ध तरीके से चीजें सामने नहीं आ रही हैं. परीक्षा शुरू होने पर छात्रों का कहना था कि उनका पेपर अपलोड नहीं हुआ. उसके बाद शिक्षकों ने व्हाट्सएप के जरिए छात्रों को पेपर भेजा लेकिन वह भी छात्रों से पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पा रहा था. इसी घबराहट में छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों को भी ध्यान में नहीं रख पा रहे और एक एक प्रश्न के उत्तर व्हाट्सएप के जरिए शिक्षकों को भेज रहे हैं जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया था कि इस बार उत्तर पुस्तिका केवल पोर्टल पर ही अपलोड करनी है.

दिशा निर्देश में नहीं थी स्पष्टता

उन्होंने कहा कि एकदम से दिल्ली विश्वविद्यालय ने यह दिशा निर्देश जारी कर दिए कि कॉलेज में भी उत्तर पुस्तिका जमा की जा सकती है. अब यहां पर शिक्षकों के सामने यह समस्या है कि पेपर लेकर उसे अपलोड कहां करना है इसको लेकर उन्हें कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं. अब शिक्षकों को आगामी प्रक्रिया के लिए दिशा निर्देशों का इंतजार हैं.

कम्युनिकेशन गैप के चलते आती है परेशानी

एनसीवेब के नोडल अधिकारी प्रोफेसर कवलजीत सिंह ने कहा कि एनसीवेब के छात्रों को जो परेशानी आ रही है, उसका मूल कारण यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए निर्देश वह पूरी तरह समझ नहीं पाते हैं. खासतौर पर जब सभी दिशानिर्देश अंग्रेजी में जारी होते हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना ही एक स्तर बना रखा है और उन्हें लगता है कि यहां तक की चीजें छात्रों को मालूम है पर जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. प्रशासन और छात्रों के बीच इस कम्युनिकेशन गैप की वजह से बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो रही हैं.

ओबीई में सुधार की जरूरत

डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एग्जाम प्रोफेसर जगन्नाथ चौधरी ने कहा कि सुबह से छात्रों के आ रहे फोन कॉल और ईमेल से यही बात सामने आ रही है कि ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को जितने व्यवस्थित तरीके से आयोजित होना था उतना सुधार उसमें अभी तक नहीं हो पाया है. खास तौर पर उन राज्यों के छात्रों के लिए जहां अभी भी 2जी इंटरनेट चलता है. ऐसे में उन्होंने कहा कि छात्रों की समस्याओं को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को कई सुधार करने की जरूरत है. साथ ही यह विकल्प भी देने की जरूरत है कि अगर छात्र पोर्टल पर अपनी उत्तर पुस्तिका अपलोड ना कर सके तो वह किसी और माध्यम से विश्वविद्यालय तक अपनी उत्तर पुस्तिका पहुंचा सकें.

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