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World Mental Health Day: बढ़ रही मानसिक रोग डिमेंशिया के मरीजों की संख्या, जानें, कारण और निवारण - बढ़ रही मानसिक रोग डिमेंशिया के मरीजों की संख्या

देश में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो एक चिंता का विषय है. इसलिए मानसिक बीमारियों के प्रति विश्व भर में लोगों को जागरूक करने के लिए 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 10, 2023, 12:16 PM IST

Updated : Oct 10, 2023, 1:57 PM IST

नई दिल्ली: देश में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह चिंता का विषय है. अगर इसी तरह लगातार मानसिक बीमारियों का बढ़ना जारी रहा तो जल्द ही हमारा देश मानसिक रोगियों के मामले में नंबर एक पर पहुंच जाएगा और यह बहुत ही खराब स्थिति होगी. मानसिक बीमारियों के प्रति विश्व भर में लोगों को जागरूक करने के लिए 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

दिल्ली के मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) अस्पताल के उपचिकित्सा अधीक्षक एवं वरिष्ठ मनो चिकित्सक प्रोफेसर ओम प्रकाश ने बताया कि देश में लोगों में डिमेंशिया की मानसिक बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है. मौजूदा समय में देश की दो से ढाई प्रतिशत आबादी डिमेंशिया से पीड़ित है. अभी तक हमारा देश नौजवानों का देश माना जाता है. लेकिन, अगर यही स्थिति रही तो बहुत जल्दी हमारा देश बुजुर्गों और मानसिक रोगियों का देश हो जाएगा. इसलिए डिमेंशिया के लक्षणों को पहचान कर उनका इलाज करना और फिर इन मरीजों का पुनर्वास करना बहुत ही आवश्यक है. इस बीमारी का जोखिम महिलाओं में अधिक होता है.

क्या है डिमेंशिया : डिमेंशिया को मनोभ्रंश नाम से भी जाना जाता है. डिमेंशिया सोच और सामाजिक लक्षणों का एक समूह है, जो दैनिक कामकाज पर असर करता है. यह कोई विशिष्ट रोग नहीं, बल्कि याददाश्त खोने और निर्णय न ले पाने जैसे कम से कम दो दिमागी कार्यों को नुकसान पहुंचाने की विशेषताओं वाली स्थितियों का समूह है.

बुजुर्गों में ज्यादा मिल रहे डिमेंशिया के मरीज :डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि इहबास में दो दिन बुजुर्गों की ओपीडी होती है, जिसमें 30 प्रतिशत से ज्यादा बुजुर्ग डिमेंशिया से पीड़ित आते हैं. उनको खुद अपनी बीमारी का पता नहीं होता है. लेकिन उनसे बातचीत करके उनके लक्षणों को देखकर के हम उनकी पहचान करते हैं और फिर उनका देवा इलाज शुरू किया जाता है. डॉक्टर ओमप्रकाश ने बताया कि इस समय सबसे बड़ी समस्या डिमेंशिया के लक्षणों को पहचान कर मरीज का सही समय पर इलाज शुरू करने की है.

देश में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत निशुल्क है डिमेंशिया का इलाज:देश में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी अस्पतालों और जिला अस्पतालों में डिमेंशिया का इलाज निशुल्क है. प्राइवेट तौर पर भी डिमेंशिया का इलाज 400 रूपये से लेकर 1200 रूपये तक के खर्चे में हो जाता है. इसका इलाज ज्यादा महंगा नहीं है. उन्होंने बताया कि डिमेंशिया के मरीज खुद भूल जाते हैं. इसलिए वे खुद अपना इलाज नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें भूलने की बीमारी हो जाती है. इसलिए उनके परिजनों को यह बहुत आवश्यक है कि वह उनके लक्षणों को पहचान कर उचित समय पर डॉक्टर की सलाह लेकर उनका इलाज शुरू कर दें.

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डिमेंशिया के लक्षण :मतिभ्रम, दूरियों का अनुचित निर्णय, दिन भर अलग-अलग सतर्कता, रास्ता भूल जाना, घबराहट, चिंता, उदासीनता, नींद और भूख में बदलाव, प्रफुल्लित मनोदशा, अनिद्रा, आवेगी व्यवहार, चिड़चिड़ापन, संतुलन में परेशानी, परिचित लोगों को न पहचान पाना.डिमेंशिया का कारण : डिमेंशिया का कारण हाइपरटेंशन, शुगर, सिर पर चोट लगना, मस्तिष्क में ट्यूमर, संक्रमण, हार्मोन विकार जैसे थायरॉइड रोग, हाइपोक्सिया (खून में खराब ऑक्सीजनजन), मेटाबोलिक संबंधी विकार, नशे की लत आदि.

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Last Updated : Oct 10, 2023, 1:57 PM IST

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