नई दिल्लीःसाहित्य अकादमी की ओर से ऑनलाइन साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत आभासी मंच पर पूर्वोत्तर और पश्चिमी लेखक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें दोनों क्षेत्रों के 27 रचनाकारों ने भाग लिया. इस दौरान सबसे पहले स्वागत भाषण साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने देते हुए कहा कि दो विभिन्न क्षेत्रों के रचनाकारों को एक-दूसरे के पास लाने के उद्देश्य से, इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.
के. श्रीनिवासराव ने कहा कि यह सम्मेलन दो क्षेत्रों की विभिन्न संस्कृतियों को एक-दूसरे से जोड़ने का प्रयास है. प्रख्यात असमिया लेखक एवं साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य नगेन शइकिया ने कहा कि इस सम्मेलन में जहां से सूर्य उगता है और जहां डूबता है, के प्रतिकात्मक स्वरूप को महसूस कर पा रहा हूं. यह बिल्कुल ही अनूठी कल्पना है, जो बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक है.
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उन्होंने कहा कि भाषाओं की विविधता के बाद भी, हर भाषा का साहित्य मानवता की ही आवाज़ होता है. उन्होंने इस सम्मेलन में युवाओं की भागेदारी पर भी हर्ष व्यक्त किया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि यह दो विभिन्न क्षेत्रों के बीच का मिलन है और इसमें अपार संभावनाएं हैं. यह दोनों क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से जुड़े हुए हैं. इस कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के उपनिवेश और स्वाधीन भारत के बाद के साहित्य को जानने और समझने में आसानी होगी.
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