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निर्भया केसः फांसी रोकने की याचिका खारिज, जानें दिल्ली हाईकोर्ट में क्या-क्या हुआ? - Trial court

दिल्ली हाईकोर्ट में रात करीब सवा घंटे की सुनवाई के बाद निर्भया के दोषियों को निराशा हाथ लगी. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के डेथ वारंट पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया.

Nirbhaya case
निर्भया केस

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Published : Mar 20, 2020, 3:03 AM IST

Updated : Mar 20, 2020, 4:07 AM IST

नई दिल्ली।निर्भया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से दोषियों को एक फिर झटका लगा है. कोर्ट ने दोषियों की ट्रायल कोर्ट के डेथ वारंट पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया है. जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने रात में करीब सवा घंटे की सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किया.

सरकारी वकील ने क्यूरेटिव याचिका की दी जानकारी

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि पवन की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि पवन ने दूसरी दया याचिका दाखिल की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने उसपर विचार करने से मना कर दिया, क्योंकि पहली दया याचिका सम्पूर्ण थी।

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

एपी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट को इस बात की जानकारी दी और कहा कि अक्षय की दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आज आप एक ही दिन में तीन कोर्ट में पहुंचे हैं. आप ये नहीं कह सकते हैं कि कोर्ट के दरवाजे बंद हैं. जस्टिस मनमोहन ने एपी सिंह से कहा कि ये कैसी याचिका है, जिसमें न कोई लिस्ट ऑफ डेट है, न ही कोई संलग्नक है. क्या ऐसी याचिका दायर करने की आपको अनुमति है.

'सभी कानूनी विकल्प खत्म'
तिहाड़ जेल की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि हमें ये भी पता नहीं है कि याचिकाकर्ता कौन हैं. राहुल मेहरा ने कहा कि सभी दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं. राहुल मेहरा ने कहा कि हाईकोर्ट ने जनवरी में आदेश दिया था कि डेथ वारंट रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएं. कोर्ट ने कहा कि तीन कोर्ट ने आपकी सजा को बरकरार रखा. राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा. ये चौथा डेथ वारंट है और आप इस तरह इतने गैरजिम्मेदाराना बहस कर रहे हैं.

लंबित केसों की जानकारी दी
एपी सिंह ने कहा कि एक याचिका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास और एक दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. इसके अलावा बिहार में एक केस लंबित है और एक केस निर्वाचन आयोग के खिलाफ हाईकोर्ट में लंबित है. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इनकी कोई प्रासंगिकता नहीं है. हम फैसले की समीक्षा करने नहीं बैठे हैं. हम ये भी नहीं कह सकते कि डेथ वारंट पर रोक लगे. कोर्ट ने कहा कि अब यह मामला पूर्ण हो चुका है.

अक्षय की पत्नी की तलाक याचिका में ये कहा...

राहुल मेहरा ने कहा कि चारो दोषियों ने गैंगरेप के पहले एक व्यक्ति से चोरी भी की थी. जिसकी एफआईआर लंबित है, लेकिन यह केस उससे काफी ज्यादा गंभीर है. एपी सिंह ने कहा कि मीडिया के दबाव की वजह से फांसी हुई है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये कह दिया है कि अब अक्षय की पत्नी की तलाक की याचिका की कोई प्रासंगिकता नहीं है.

'लंबित केस प्रासंगिक कैसे नहीं है'
एपी सिंह ने कहा कि पवन का कोई भी पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है. यह न्याय नहीं होगा. एपी सिंह ने कहा कि निर्वाचन आयोग, बिहार में लंबित केस और मानवाधिकार आयोग के समक्ष लंबित केस प्रासंगिक कैसे नहीं है. कोर्ट ने एपी सिंह से कहा कि समय बेहद कम है. आपके मुवक्किल को जल्द ही फांसी होने वाली है. इस समय किताब को दस्तावेज के रूप में रेफर न करें. कोर्ट ने कहा कि वो घर पर बैठकर लंबा आर्टिकल लिख सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वो सच हो.

कोरोना का भी मामला उठाया
कोर्ट ने सिंह को कहा कि आप समझिए आपके पास समय कम है. केवल कुछ समय दूर है आपके मुवक्किल गॉड से मिलने में. एपी सिंह ने कोरोना का मामला उठाया और कहा कि वो ना उम्मीद हो चुके हैं, उनके पास कोई सुविधा नहीं है. एपी सिंह ने कहा कि उन्हें एक या दो दिन का वक्त दिया जाए. तब कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम आपको सिस्टम से खेलने नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने एपी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने ढाई साल क्या किया? आपने राष्ट्रपति के समक्ष भी याचिका दाखिल नहीं की.

'कानून उनका पक्षधर है जो समय पर कार्रवाई करते हैं'
कोर्ट ने कहा कि कानून उन लोगों का पक्षधर है जो समय पर कार्रवाई करते हैं. कोई सिस्टम के साथ खेल रहा है. आपकी ओर से देरी हो रही है. आप हमें दोषी ठहरा रहे हैं, दोष आप पर है. कोर्ट ने कहा कि हम उन मुद्दों पर अब कुछ नही सुनेंगे जो सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है. कोर्ट ने एपी सिंह से कहा कि आप जो बहस कर रहे हैं वो आपकी याचिका में नहीं है.

Last Updated : Mar 20, 2020, 4:07 AM IST

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