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रोशनी से नहाए उस बस स्टैंड की अंधेरी कहानी, निर्भया केस को पूरे हुए 8 साल

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Published : Dec 16, 2020, 11:49 AM IST

निर्भया केस:- साल 2012 की दिल्ली की उस रात ने सबको हिला कर रख दिया. आज उस घटना को 8 साल पूरे हो गए. लेकिन इन 8 सालों में उस मुनिरका बस स्टॉप की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. जाने रोशनी से नहाए उस बस स्टैंड की अंधेरी कहानी...

Nirbhaya case completes 8 years see the dark story of the bus stand which is bathed in light
निर्भया केस को पूरे हुए 8 साल

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 की रात एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया. दिल्ली के दक्षिण पश्चिमी इलाके स्थित मुनिरका बस स्टॉप से ये कहानी शुरू हुई थी आज इस मामले को 8 साल पूरे हो चुके हैं. आरोपियों को फांसी पर भी लटकाया जा चुका है, लेकिन इन 8 सालों में उस मुनिरका बस स्टॉप की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. जो उस समय अंधेरे में कायम था वहां आज चकाचौंध और चहल पहल है.

रोशनी से नहाए उस बस स्टैंड की अंधेरी कहानी
16 दिसंबर शाम 9:15 बजे करीब बस में सवार हुई थी निर्भया

लेकिन आज वह रोशनी में नहाया बस स्टैंड एक अंधेरा अतीत बयां करता है और अंधेरा ऐसा जिसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएं, आज से ठीक 8 साल पहले इसी मुनिरका बस स्टॉप से 16 दिसंबर कि शाम करीब 9:15 बजे एक 23 साल की छात्रा ऑफ ड्यूटी चार्टर्ड बस में सवार हुई थी.

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प्राइवेट चार्टर्ड बस में निर्भया के साथ हुई थी दरिंदगी

और उस बस का सफर उसका आखिरी सफर बन गया. चलती हुई बस में छह दरिंदों ने उस छात्रा के साथ दरिंदगी की. उसके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया. जिसके बाद उसे और उसके दोस्त को आगे जाकर कुछ दूरी पर बस से नग्न अवस्था में बाहर फेंक दिया. दिसंबर की सर्दी की रातों में दो युवा दिल्ली की अंधेरी सड़कों पर काफी देर तक पड़े रहे. घंटों बाद पुलिस को इसकी सूचना मिली और फिर दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया. और अस्पताल में कुछ दिनों बाद छात्रा ने दम तोड़ दिया.


साकेत से फिल्म देखकर आ रही थी छात्रा

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक छात्रा साकेत से अपने दोस्त के साथ फिल्म देख कर आ रही थी और मुनिरका के लिए ऑटो में सवार हुई थी. जिसके बाद मुनिरका से उसे अपने घर पालम जाना था. लेकिन काफी देर तक बस स्टॉप पर डीटीसी बस का इंतजार करती रही, क्योंकि उस समय मेट्रो की इतनी सुविधा नहीं थी आज जहां मुनिरका बस स्टॉप के ठीक बगल में मुनिरका मेट्रो स्टेशन भी बन गया है. उस समय कहीं भी आने-जाने के लिए अधिकतर लोगों के पास बस ही एक साधन थी. लेकिन काफी देर तक बस नहीं आते देख मजबूरन उसे एक प्राइवेट चार्टर्ड बस में सवार होना पड़ा और वह बस उसे एक अंधेरे भयानक सफर पर ले कर चली गई.

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