नई दिल्ली :दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) यानी एनसीआर के कई इलाकों का प्रदूषणस्तर बहुत अधिक बढ़ गया (pollution level rises) है. कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) स्तर रेड जोन (Red Zone 300-400 AQI) में और डार्क रेड जोन (Dark Red Zone 400-500 AQI) में दर्ज किया गया है. सुबह एनसीआर के कई इलाकों में धुंध की चादर भी देखने को मिली है. प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी के कारण लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिन इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर 400 के पार है, वहां लोगों को आंखों में जलन महसूस हो रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली आज देश में सबसे प्रदूषित शहर है.
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हालात बेहद खराब : दिल्ली एनसीआर के हालात मौजूदा समय में बेहद खराब नजर आ रहे हैं. दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, एनएसआईटी द्वारका, डीडीयूसी, आरके पुरम, नॉर्थ कैंपस, पूसा द्वारका सेक्टर- 8 आदि क्षेत्र डार्क रेड जोन में बने हुए हैं. यानी इन क्षेत्रों का प्रदूषण स्तर 400 के पार है. एनसीआर के अन्य सभी इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन यानी कि 300 के पार है, जो कि लोगों के लिए बेहद खतरनाक है.
नजर डालें इन क्षेत्रों के एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) :-
अलीपुर : 439
शादीपुर :436
आरके पुरम : 428
सिरी फोर्ट :423
आईटीओ, दिल्ली :435
पूसा, दिल्ली :423
नेहरू नगर, दिल्ली: 433
अशोक विहार, दिल्ली :444
लोनी, गाज़ियाबाद :398
इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद :385
सेक्टर 62, नोएडा :427
सेक्टर 116, नोएडा :398
सेक्टर 125, नोएडा :337
ऐसी किया जाता है वर्गीकरण :एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायऑक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
घर पर तैयार करें कॉटन मास्क : जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले में अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे कि पार्टिकुलेट मैटर सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं.मास्क को समय-समय पर धोने की जरूरत होती है.
बाहर निकलने से करें परहेज :सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वे लोग जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुगों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.
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