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खसरा का खतरा : दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 50 से अधिक मामले, बच्चों का टीकाकरण ही बचाव

दिल्ली में अब खसरा का खतरा बढ़ गया है. दिल्ली के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में (in government hospitals of Delhi) खसरा से संक्रमित 50 से अधिक मामले सामने आए हैं. बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण ही एकमात्र रास्ता है. कोरोनाकाल में देश के लाखों बच्चों को खसरा का टीका नहीं लग पाया था.

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 50 से अधिक मामले
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 50 से अधिक मामले

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Published : Nov 24, 2022, 5:59 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना की सुस्त चाल और डेंगू, चिकनगुनिया‚ मलेरिया के कुछ मामलों के बीच अब बदलते मौसम में बच्चों को मीजल्स यानी खसरा परेशान कर रहा (Measles threat) है. दिल्ली के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में खसरा से संक्रमित 50 से अधिक बच्चे भर्ती हैं.

अस्पतालों में पहुंचे संक्रमित बच्चे:दिल्ली के कलावती शरण चिकित्सा बाल अस्पताल के ओपीडी में अब तक 13 मामले आ चुके हैं. चाचा नेहरू बाल अस्पताल में 19 मामले आए हैं. दिल्ली गेट स्थित एलएनजेपी अस्पताल में 5, सफदरजंग अस्पताल में 8‚ लाल बहादुरशास्त्री अस्पताल में 7 और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में 2 बच्चों में मीजल्स यानी खसरा के लक्षण पाए गए हैं. राहत की बात ये है कि इसमें से सिर्फ दो फीसद बच्चों को ही आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी है. अन्य बच्चों को जरूरी सावधानी बरतने संबंधी चिकित्सक सलाह देकर घर पर ही कम से कम चार दिनों तक आइसोलेशन पर रखने की सलाह दी जा रही है.

चार दिनों तक आइसोलेशन रखना चाहिए : दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुरेश कुमार कहते हैं कि हमें अलर्ट रहने की जरूरत है. मीजल्स यानी खसरा एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वसन तंत्र से शुरू होता है. इसे सिर्फ वैक्सीनेशन से रोका जा सकता है. दुनियाभर में इसके कारण हर साल हजारों बच्चों की मौत होती है. भारत में इस साल सितंबर तक खसरा संक्रमण के 11,156 मामले सामने आ चुके हैं. डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि खसरा का संक्रमण पैरामाइक्सो वायरस फैमिली के वायरस की वजह से होता है जो सबसे पहले रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है. इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है. अगर कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाए तो उसके संक्रमित होने का चांस 90 प्रतिशत होता है. अगर किसी बच्चे या वयस्क में खसरा संक्रमण का लक्षण दिखे तो रैशेज के दिखने के बाद चार दिनों तक उसे आइसोलेशन रखना चाहिए.

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शरीर पर रैशेज आना पहली पहचान :केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के आयुक्त डॉ एस के विमल के अनुसार, खसरा जिसे कुछ लोग इसे छोटी माता के नाम से भी जानते हैं, इसका पहला संकेत तेज बुखार है. वायरस के संपर्क में आने के करीब 10-12 दिन बाद बुखार आता है जो 4-5 दिनों तक रहता है. बुखार के अलावा संक्रमित व्यक्ति में खांसी‚ नाक बहने‚ आंखे लाल होने‚ गले में दर्द और मुंह में सफेद धब्बे भी दिख सकते हैं. जिस लक्षण से इसकी सबसे ज्यादा पहचान होती है‚ वह है शरीर पर रैशेज. ये रैशेज सात दिनों तक रह सकते हैं. ये रैशेज आम तौर पर सबसे पहले सिर में आते हैं और उसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलते हैं. जिन बच्चों को मीजल्स का टीका नहीं लगा होता है‚ उनमें इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है.

कोरोना के दौरान करोड़ों बच्चों को नहीं लगे टीके : खसरे पर हाल ही में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राज्य रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की संयुक्त रिपोर्ट में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से खसरा टीकाकरण कवरेज में लगातार गिरावट आई है. 2021 में, दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ बच्चे खसरे के टीके की खुराक से चूक गए. 2.5 करोड़ बच्चों को टीके का पहला डोज जबकि 1.47 करोड़ बच्चों ने दूसरा डोज मिस कर दिया. टीकों में यह गिरावट करोड़ों बच्चों को संक्रमण के प्रति संवेदनशील बनाती है.

जानिए खसरा क्या है : बता दें कि खसरा एक संक्रामक बीमारी है, जो खसरा वायरस की वजह से होती है. दरअसल, जब ये वायरस किसी को अपनी चपेट में लेता है तो उसे बुखार, शरीर पर चकत्ते, कान में संक्रमण, दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियां घेर लेती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक संक्रमण दस दिनों तक रह सकता है. इस गंभीर बीमारी से कई बच्चों की मौत भी चुकी है.

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