नई दिल्ली:दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में भी स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) का गठन होगा. मेयर डॉ शैली ओबेरॉय ने सभी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के गठन का निर्देश दिया है. मेयर ने कहा कि सभी एमसीडी स्कूलों में एसएमसी का गठन बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और दिल्ली के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा.
एसएमसी सभी बच्चों के दाखिले-उपस्थिति की निगरानी करने के साथ ही स्कूल की जरूरतों और मिड-डे मील कार्यक्रम के कार्यान्वयन में मदद करेगी. मेयर की तरफ से दिए गए आदेश में एसएमसी की संरचना और कार्यों को निर्धारित किया गया है. इसके मुताबिक एसएमसी में 16 से कम सदस्य नहीं होंगे. इनमें से 75 फीसदी बच्चों के अभिभावकों और शेष 25 फीसदी सदस्य स्कूल के प्रमुखों, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय प्रतिनिधि होंगे. स्कूल प्रधानाचार्य एसएमसी के पदेन अध्यक्ष होंगे. इसके अलावा माता-पिता और सदस्यों में से उपाध्यक्ष बनाए जाएंगे. समिति के सदस्य शिक्षक संयोजक के रूप में कार्य करेंगे. समिति दो महीने में कम से कम एक बार बैठक करेगी.
मेयर ने स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के गठन का दिया निर्देश, कमेटी में 16 होंगे सदस्य - Delhi Municipal Corporation
दिल्ली की मेयर डॉ शैली ओबेरॉय ने नगर निगम के स्कूलों में भी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के गठन का निर्देश दिया है. इस कमेटी में कम से कम 16 सदस्य होंगे.
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एसएमसी के गठन को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से सभी एमसीडी स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. अगर चुनाव कराने की आवश्यकता होगी, तो उसके लिए भी गाइडलाइंस जारी किये जाएंगे. मेयर डॉ शैली ओबरॉय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि नए एसएमसी का गठन अधिनियम और नियमों के अनुसार किया जाए. उन्होंने कहा कि एसएमसी की जिम्मेदारियों में स्कूल के कामकाज की निगरानी करना, स्कूल विकास योजना तैयार करना, उसकी सिफारिश करना और अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना शामिल है. एसएमसी का गठन हमारे स्कूलों में शिक्षा को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
मेयर शैली ओबरॉय के इस महत्वपूर्ण निर्णय की सराहना करते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि एमसीडी के स्कूलों में एसएमसी का गठन एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. ये पैरेंट्स को अपने बच्चों के स्कूलों से जोड़ने, स्कूलों की बेहतरी के लिए सुझाव देने का मौक़ा देगा. 2015 से पहले तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पैरेंट्स की साझेदारी न के बराबर थी. केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद पैरेंट्स को स्कूलों से जोड़ने का काम किया गया.