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Health Expenditure: मनीष सिसोदिया की पत्नी ने पिछले 10 साल में इलाज पर 33 लाख से अधिक खर्च किए

दिल्ली के अस्पतालों को विश्वस्तरीय बताने वाले दिल्ली सरकार के मंत्री और उनके परिवार के लोगों का इलाज निजी अस्पतालों में होता है. पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पत्नी का इलाज पिछले 10 सालों से अपोलो अस्पताल में हो रहा है. इस दौरान उन्होंने 33 लाख रुपये से अधिक खर्च किया है.

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Published : Jun 17, 2023, 2:27 PM IST

Updated : Jun 17, 2023, 4:44 PM IST

नई दिल्लीःदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजधानी के स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने का दावा करते हैं. लेकिन उन्हीं के सरकार में मंत्री रह चुके मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी ने निजी अस्पतालों में बेतहाशा खर्च किया है. सिसोदिया की पत्नी ने निजी अस्पतालों में इलाज पर पिछले 10 साल (2013-14 से लेकर 2023-24 तक) में 33 लाख 29 हजार 457 रुपये खर्च किया है.

आरटीआई से प्राप्त सूचना के अनुसार, मनीष सिसोदिया की पत्नी का इलाज 2014 से अपोलो अस्पताल में चल रहा है. इस दौरान वह दर्जनों बार अस्पताल में भर्ती रहीं और उनके इलाज पर मोटा पैसा खर्च हो चुका है. कोरोना काल में भी दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा एलएनजेपी अस्पताल को नोडल अस्पताल बनाया गया था. इसके बावजूद जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल कोरोना से संक्रमित हुईं तो उनका एक निजी अस्पताल में इलाज करवाया गया. इसी प्रकार पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का इलाज भी मैक्स अस्पताल में हुआ.

सीमा सिसोदिया का अपोलो अस्पताल में चल रहा इलाज
मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा सिसोदिया मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) बीमारी से ग्रसित हैं. इसका इलाज दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) में ही उपलब्ध है. केंद्र सरकार के एम्स के अलावा आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल में इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन वह इसका इलाज अपोलो अस्पताल से करवा रही हैं. हालांकि एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार की देखरेख में सीमा सिसोदिया का कुछ समय इलाज चला भी था, लेकिन वह व्यवस्था से असंतुष्ट होकर अपोलो अस्पताल में भर्ती हो गईं, जहां उनका 10 वर्षों से इलाज चल रहा है.

जानें एमएस बीमारी के बारे में
क्या है एमएस बीमारी?देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. रोहित भाटिया बताते हैं कि मल्टीपल स्कलेरोसिस ऑटोइम्युन एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी है. यह लगभग एक लाख मरीजों में से किसी एक को प्रभावित करता है. इस बीमारी से पीड़ित होने पर दिमाग का शरीर के अंगों पर से नियंत्रण समाप्त हो जाता है, जिसके कारण मरीजों की मूवमेंट सीमित हो जाती है. मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं. शरीर में अजीब तरह की झुंझुनाहट महसूस होती रहती है. इस कारण बेहद कमजोरी महसूस होती है. गर्दन घुमाने पर इलेक्ट्रिक शॉक जैसा महसूस होता है. इसका असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है. मरीज को हर चीज दो-दो दिखाई देती है. डॉ. भाटिया ने बताया कि अक्सर इसका पहला अटैक साइलेंट होता है, जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं. यदि समय पर पहले अटैक के बाद ही उचित इलाज मिले तो मरीज ठीक हो सकता है, लेकिन पहले अटैक के बाद वाला जो अटैक होता है, वह काफी खतरनाक होता है.
आरटीआई का जवाब
सीमा सिसोदिया के इलाज पर खर्च का ब्योरा
सीमा सिसोदिया के इलाज पर खर्च का ब्योरा
सीमा सिसोदिया के इलाज पर खर्च का ब्योरा
Last Updated : Jun 17, 2023, 4:44 PM IST

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