नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भाजपा में कोई अहम जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी माने जाने वाले प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की बातें हो रही हैं.
खास बात यह है कि एक पार्टी में सालों तक रहकर साथ छोड़ने वाले जितिन इकलौते नेता नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में चुनावों से पहले नेताओं का एक से दूसरी पार्टी में आना-जाना लगा रहता है. राजधानी दिल्ली के परिपेक्ष में बात करें, तो यहां नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होने मौका पाते ही पार्टी बदल ली. कुछ ने इसके लिए थोड़ा समय लिया और कुछ ने थोड़े समय बाद ही अपनी पार्टी में वापस आ गए.
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अरविंदर सिंह लवली
साल 1998-2017 तक कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने के साथ साथ दिल्ली में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) के भाजपा में शामिल होने की खबर ने सबको सकते में डाल दिया था. उस दौरान अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी में घुटन की बात कहते हुए भाजपा का दामन थामा था. साल 2018 में ही अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली. इसके पीछे भाजपा द्वारा उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दिया जाना मुख्य वजह बताया गया.
अलका लांबा
कांग्रेस की छात्र यूनिट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली चांदी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा (alka lamba) साल 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुईं थी. पार्टी ने उन्हें चांदनी चौक विधानसभा से उम्मीदवार बनाया और लांबा जीत भी गईं. पार्टी आलाकमान से लंबे समय तक अन-बन के बाद उन्होंने साल 2019 में घर वापसी कर ली थी. साल 2020 में अलका लांबा कांग्रेस की टिकट पर चांदनी चौक से लड़ी थी और हार गई. मौजूदा समय में वो दिल्ली कांग्रेस कमिटी की सक्रिय सदस्य हैं.
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