नई दिल्लीःमानवीय संवेदनाओं और जीवन मूल्यों को बड़ी बारीकी से उकेरने की प्रतिभा रखने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 140वीं जयंती है. उनकी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत ने ताजा की मुंशी प्रेमचंद की कुछ यादें और जा पहुंचा वहां, जहां से मुंशी प्रेमचंद्र का बहुत ही गहरा रिश्ता था और वह जगह है जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय.
वहीं जामिया के पीआरओ अहमद अजीम की मानें, तो जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन से मुंशी प्रेमचंद का गहरा संबंध था और उन्हीं के आग्रह पर प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना 'कफन' जामिया में ही लिखी थी. जो सबसे पहले जामिया की पत्रिका में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. साथ ही जामिया में 2006 में प्रेमचंद अभिलेखागार भी बनाया गया है, जिसमें उनकी सभी रचनाओं को संजो कर रखा गया है.
जामिया और मुंशी प्रेमचंद के बीच गहरा रिश्ता
जीवन की जमीनी सच्चाई और पारिवारिक संबंधों को कलमबद्ध कर शब्दों में पिरोने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं. इन्हीं मुंशी प्रेमचंद का जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ घनिष्ठ रिश्ता था.
वहीं इसके बारे में बताते हुए जामिया के पीआरओ अहमद अजीम ने बताया कि जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन की मुंशी प्रेमचंद से गहरी दोस्ती थी. वहीं मुंशी प्रेमचंद जब दिल्ली आए तो वह जामिया में रुके जिस दौरान डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे कुछ लिखने के लिए गुजारिश की थी.
उनकी इस गुजारिश पर मुंशी प्रेमचंद ने 'कफन' कहानी लिखी थी जो मानवीय संवेदना मूल्य और छटपटाहट से परिपूर्ण थी. बात दें कि यह कहानी सबसे पहले विश्वविद्यालय की पत्रिका जामिया में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. वहीं जितनी पकड़ मुंशी प्रेमचंद की हिंदी भाषा पर थी, उर्दू भी वह उतनी ही बखूबी लिखा करते थे. उनकी उर्दू की भी कई रचनाएं हैं, जिसे आज भी जामिया ने संभाल कर रखा है.