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जामिया से मुंशी प्रेमचंद का है गहरा नाता, अभिलेखागार में मौजूद है कई रचनाएं

मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत ने ताजा की कुछ यादें और जा पहुंचा वहां, जहां से प्रेमचंद का बहुत ही गहरा रिश्ता था. आईए जानते हैं जामिया और मुंशी प्रेमचंद के बीच का रिश्ता क्या है...

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मुंशी प्रेमचंद और जामिया

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Published : Jul 31, 2020, 10:38 PM IST

नई दिल्लीःमानवीय संवेदनाओं और जीवन मूल्यों को बड़ी बारीकी से उकेरने की प्रतिभा रखने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 140वीं जयंती है. उनकी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत ने ताजा की मुंशी प्रेमचंद की कुछ यादें और जा पहुंचा वहां, जहां से मुंशी प्रेमचंद्र का बहुत ही गहरा रिश्ता था और वह जगह है जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय.

वहीं जामिया के पीआरओ अहमद अजीम की मानें, तो जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन से मुंशी प्रेमचंद का गहरा संबंध था और उन्हीं के आग्रह पर प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना 'कफन' जामिया में ही लिखी थी. जो सबसे पहले जामिया की पत्रिका में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. साथ ही जामिया में 2006 में प्रेमचंद अभिलेखागार भी बनाया गया है, जिसमें उनकी सभी रचनाओं को संजो कर रखा गया है.

मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर विशेष...

जामिया और मुंशी प्रेमचंद के बीच गहरा रिश्ता

जीवन की जमीनी सच्चाई और पारिवारिक संबंधों को कलमबद्ध कर शब्दों में पिरोने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं. इन्हीं मुंशी प्रेमचंद का जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ घनिष्ठ रिश्ता था.

वहीं इसके बारे में बताते हुए जामिया के पीआरओ अहमद अजीम ने बताया कि जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन की मुंशी प्रेमचंद से गहरी दोस्ती थी. वहीं मुंशी प्रेमचंद जब दिल्ली आए तो वह जामिया में रुके जिस दौरान डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे कुछ लिखने के लिए गुजारिश की थी.

उनकी इस गुजारिश पर मुंशी प्रेमचंद ने 'कफन' कहानी लिखी थी जो मानवीय संवेदना मूल्य और छटपटाहट से परिपूर्ण थी. बात दें कि यह कहानी सबसे पहले विश्वविद्यालय की पत्रिका जामिया में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. वहीं जितनी पकड़ मुंशी प्रेमचंद की हिंदी भाषा पर थी, उर्दू भी वह उतनी ही बखूबी लिखा करते थे. उनकी उर्दू की भी कई रचनाएं हैं, जिसे आज भी जामिया ने संभाल कर रखा है.

जामिया में मुंशी प्रेमचंद का अभिलेखागार

वहीं अहमद अजीम ने बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 2006 में जामिया परिसर में प्रेमचंद अभिलेखागार स्थापित किया जिसमें मुंशी प्रेमचंद से जुड़ी सारी यादें संजोकर रखी हुई हैं. जिसमें उनकी जन्मपत्री, उनपर किए गए शोध आदि शामिल हैं. इस अभिलेखागार में साहित्य में रुचि रखने वाले, शोध करने वाले और अन्य साहित्य प्रेमियों को प्रेमचंद के जीवन से और उनके साहित्य से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है.

जामिया में मौजूद है प्रेमचंद की कई रचनाएं

अजीम अहमद ने बताया कि प्रेमचंद की करीब 100 कहानियों का 61 अनुवादकों द्वारा अनुवाद किया गया जिनमें 3 कहानियां ऐसी पाई गई जो अभी तक कहीं उपलब्ध नहीं थी. जामिया प्रशासन ने प्रेमचंद की लिखी करीब 300 से अधिक रचनाओं को आज भी संजो कर रखा है और इनका अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है. साथ ही कहा कि मुंशी प्रेमचंद और पूर्व कुलपति जाकिर हुसैन की इस्तेमाल की गई सभी चीजें भी आज तक संजो कर रखी गई है जो जामिया के लिए बहुत मायने रखती है.

प्रेमचंद की विरासत को सुरक्षित रखना है मकसद

वहीं केंद्र के निदेशक प्रोफेसर साहिबा जैदी बताती हैं कि इस अभिलेखागार का मकसद प्रेमचंद की विरासत और उनकी रचनाओं को एकत्र करना और संरक्षित करना है. इनमें उनकी प्रकाशित अप्रकाशित पांडुलिपि या तस्वीरें आदि शामिल हैं. यह पूरे देश में अपनी तरह का अकेला केंद्र है और अपने मकसद को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है.

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