दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

Corona Effect : कालकाजी मंदिर में कम हुए श्रद्धालु तो घट गया यूसुफ का झूला कारोबार - temple

कोरोना महामारी ने उद्योग-धंधों को ही नहीं छोटे कारोबारियों को भी नुकसान पहुंचाया है. लोगों का बाजार और धार्मिक स्थलों में जाना कम हो गया है. इसका सीधा असर यहां पर काम करने वालों पर हो रहा है. दक्षिणी दिल्ली स्थित सिद्धपीठ Kalka Ji Temple में श्रद्धालुओं का आना कम होने से यहां पर झूला लगाने वालों का कारोबार (Jhoola Businessmen) ठप हो गया है.

jhoola businessmen of kalkaji temple upset due to lack of income
झूला कारोबारी

By

Published : Jul 20, 2021, 7:46 PM IST

नई दिल्ली :दक्षिणी दिल्ली स्थित सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर में कालका मां के दर्शन के बाद बाजार से गुजरते हुए श्रद्धालु अक्सर झूला झूल कर ही अपनी यात्रा पूरी करते हैं. बच्चों की जिद्द पर माता-पिता उन्हें मंदिर परिसर में मौजूद झूले झुलाते हैं और फिर अपने घर को लौट जाते हैं, लेकिन इस कोरोना काल का असर झूला कारोबार पर भी पड़ा है.

Kalka Ji Temple के झूला कारोबारी मोहम्मद यूसुफ ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले 2 साल से लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है और अब जब मंदिर खुल गया है तब भी बहुत कम लोग हैं, जो Jhoola झूलने के लिए आ रहे हैं.

कालकाजी मंदिर में कोरोना के चलते श्रद्धालुओं का आना हुआ कम, झूला कारोबारी परेशान
मोहम्मद यूसुफ 26 साल से सिद्ध पीठ कालकाजी मंदिर में झूलों का कारोबार कर रहे हैं. अलग-अलग प्रकार के मैदानी झूले उन्होंने कालकाजी मंदिर परिसर में लगाए हुए हैं. किराए की ली हुई जमीन पर मोटरसाइकिल, बत्तख, ड्रैगन, मोटर कार आदि प्रकार के झूले हैं. जब बच्चे अपने माता-पिता के साथ मंदिर में आते हैं तो इन झूलों को देखकर बेहद उत्साहित होते हैं, लेकिन महामारी के चलते बहुत कम लोग हैं जो झूला झूलने आ रहे हैं, जिसके कारण किराया तक नहीं निकल पा रहा है. मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि वह बाहरी दिल्ली यमुना पार न्यू सीलमपुर रहते हैं. वहां से रोजाना कालकाजी मंदिर आते हैं. ऐसे में किराया भी बहुत लग जाता है और काम भी कुछ नहीं हो पाता. पूरा दिन लोगों का इंतजार करते हैं, लेकिन लॉकडाउन से ही लोगों की संख्या में कमी देखी जा रही है.


उन्होंने बताया कि वह मेले और त्योहारों पर भी अपने झूले लगाते हैं, लेकिन पिछले 2 साल से कारोबार पूरी तरीके से ठप है, न तो मेलों का आयोजन हो रहा है और न ही दिवाली दशहरे पर झूले लगाए जा रहे हैं, जिसके कारण पिछले 2 साल से वह लाखों रुपये का नुकसान झेल चुके हैं. वहीं जो लोग इस कारोबार से जुड़े हैं, उन मजदूरों को भी पैसा देना पड़ता है क्योंकि वह लोग हमारे साथ ही रहते हैं.


ये भी पढ़ें-Delhi Unlock : भक्तों के लिए खुल गया कालकाजी मंदिर, माता रानी के हुए दर्शन


मोहम्मद यूसुफ की पत्नी मुन्नी बेगम ने बताया पिछले 26 सालों से मंदिर में Jhoola का कारोबार कर रहे हैं. शुरुआत में ₹6000 यहां झूले लगाने का किराया देते थे, लेकिन अब ₹20,000 किराया देते हैं. हालात यह है कि कई बार महीने में किराया और यहां काम कर रहे मजदूरों की तनख्वाह तक नहीं निकल पाती.

ये भी पढ़ें-कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए कालकाजी मंदिर परिसर में आयोजित महारुद्र यज्ञ सम्पन्न

साथ ही उन्होंने मंदिर में झूले का कारोबार करने को लेकर कहा कि यहां सब मिलजुल कर रहते हैं, जो श्रद्धालु दर्शन करके आते हैं. हम उन्हें झूला झूलाते हैं और वह बहुत खुश होकर यहां से जाते हैं.

ये भी पढ़ें-कालकाजी मंदिर के बाहर दिल्ली पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

ABOUT THE AUTHOR

...view details