नई दिल्ली: आज अलविदा जुमा है. शाम को चांद दिखता है, तो कल ईद-उल-फितर होगी. दिल्ली में एतिहासिक जामा मस्जिद के आसपास की गलियों और बाजार में लोगों की खासा भीड़ देखने को मिल रही है. मार्केट में ईद की रौनक में चार चांद लगे हैं. रमजान के दिनों में जामा मस्जिद के प्रांगण में रोजाना शाम को रोजेदार इकट्ठा होते हैं. यहां अपने परिवार, मित्र और सगे संबंधियों के संग इफ्तारी करते हैं. रोजा इफ्तारी के इंतजार में बैठी महिलाओं और लड़कियों ने बताया कि उन्होंने ईद की पूरी खरीदारी कर ली है.
जामा मस्जिद गेट नंबर 1 के सामने मटिया महल मार्केट की रौनक देखते ही बनती है. बाजार को रंग बिरंगी लाइट्स से रौशन किया है. जगह-जगह स्वादिष्ट पकवान और लजीज व्यंजन की खुशबू घूमने फिरने वालों का मन मोह रही है. जामा मस्जिद से सटे मीना बाजार में ईद की खरीदारी करने आईं महिलाओं और उनके परिवारवालों के हाथों में बड़े बड़े शॉपिंग बैग हैं. गर्मी से राहत देने के लिए पूरे बाजार में हर तरफ ठंडे पेय की दुकानें सजी हैं.
रमजान में इफ्तारी में सबसे पहले किसी खजूर से रोजा खोलना अच्छा माना जाता है. ईद पर सेवई बनती हैं. मीना बाजार गेट नंबर 2 पर सेवई और फिरनी की दुकान चलने वाले मोहमद दानिश ने बताया कि तीन साल बाद बाजार में इस तरह की रौनक देखने को मिली है. जामा मस्जिद के आस पास मिठाई की दुकान के सामने खाने पीने की तमाम दुकाने हैं. खरीदारों का कहना है कि इस साल रमजान का महीना बहुत अच्छा रहा है. कोरोना काल को याद करते हुए एक दुकानदार का कहना है कि उस शाम को सोच कर भी डर लगता है.
दरअसल, रमजान के महीने में देशभर से लोग जामा मस्जिद में इफ्तार करने पहुंचते हैं. उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर जिले से आयी नाज़िया अहमद ने बताया कि सालों से चली आ रही परंपरा का वह भी हिस्सा बनाना चाहती हैं. परिवार के साथ इफ्तार करने वो जामा मस्जिद पहुंची हैं. उनका मानना है कि रमजान में सभी रोजेदारों की एक साथ मौजूदगी में इफ्तार करना काफी सुकून देने वाला होता है.