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जीनोम सीक्वेंसिंग लैब : देखिए कैसे होगी कोरोना वेरिएंट्स की पहचान, क्या होगी प्रक्रिया - लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP Hospital) में बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के पहले जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की शुरुआत (Delhi Government First Genome Sequencing Lab Launched) की. इसके जरिए कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट की पहचान हो सकेगी. इस लैब के अंदर से देखिए, ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

CM Arvind Kejriwal inaugurates Delhi Government COVID-19 Genome Sequencing Lab At LNJP
जीनोम सीक्वेंसिंग लैब

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Published : Jul 7, 2021, 7:40 PM IST

नई दिल्ली :दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं. बीते करीब एक हफ्ते से नए मामले 100 के करीब हैं, लेकिन तीसरी कोरोना लहर की आशंका बनी हुई है और इसे देखते हुए दिल्ली सरकार लगातार अपनी तैयारियां तेज कर रही है. इसी क्रम में बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की पहली जिनोम सीक्वेंसिंग लैब का उद्घाटन किया.


LNJP अस्पताल में इस लैब के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि यह उत्तर भारत की तीसरी ऐसी लैब है, जिससे कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट्स की पहचान की जा सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लैब के जरिए हम जान सकेंगे कि अभी कोरोना का कौन सा वेरिएंट आया है. अभी तक हम इस जांच के लिए केंद्र सरकार की एनसीडीसी लैब पर निर्भर थे.

देखिए कैसे होगी कोरोना वेरिएंट्स की पहचान
सीएम ने यह भी बताया कि इस लैब के जरिए न सिर्फ कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट्स की पहचान हो सकेगी, बल्कि कोरोना के बाद अन्य वायरस और बीमारियों की जांच में भी यह लैब कारगर साबित होगा. मुख्यमंत्री का भी कहना था कि तीसरी कोरोना लहर की आशंका के मद्देनजर यह काफी सहायक साबित होगा. इस लैब के उद्घाटन के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद रहे.

ईटीवी भारत इस लैब के अंदर भी पहुंचा और हमने जानने की कोशिश की कि इसके जरिए किस तरह वैरिएंट्स की पहचान की जाएगी. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सरकार द्वारा बनाई गई एक कमेटी तय करेगी कि किन सैम्पल्स की लैब में जांच की जानी है और उनमें वैरिएंट्स का पता लगाया जाना है.

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डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि हर दिन यहां 8 सैम्पल्स का परीक्षण किया जा सकेगा. इसके लिए RNA सैम्पल्स लैब में लाए जाएंगे और फिर मशीनों के जरिए उनका एनालिसिस किया जाएगा. इन सैम्पल्स में वेरिएंट्स की पहचान की पूरी प्रक्रिया में 5 दिन का समय लगेगा. डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि इस लैब में साइंटिस्ट सहित 20 डॉक्टर्स की टीम काम करेगी.

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