नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण गंभीर समस्या (Pollution serious problem in Delhi NCR) बन गया है. प्रदूषण से लोग बेहद परेशान हैं. प्रदूषण को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बीमारियों की चर्चा मानो आम सी हो गई है. जहां एक तरफ लोग प्रदूषण को लेकर काफी सतर्क हैं तो वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा तोहफा भी है जो प्रदूषण से बेपरवाह होकर सड़कों पर नजर आ रहे हैं. एक्सपर्ट की मानें तो मौजूदा समय में प्रदूषण बेहद खतरनाक है, जिससे कैंसर समेत कई बड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक और स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राम एस उपाध्याय मुताबिक, प्रदूषण के चलते ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में काफी इजाफा हो जाता है. जिसकी वजह से शरीर में मौजूद कोशिकाओं के अंदर क्रॉनिक कंडीशन उत्पन्न होती है. कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों के लिए यह कंडीशन फाउंडेशन के तौर पर काम करती है. यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना (chances of getting cancer by pollution) रहती है. कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, रेस्पिरेट्री डिजीज, डायबिटीज, रिप्रोडक्टिव डिसीज, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर आदि डिवेलप हो जाते हैं.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति डॉ. उपाध्याय के मुताबिक, दिल्ली का मौजूदा PM2.5 कंसंट्रेशन लेवल लगभग सामान्य से 25 गुना अधिक है. जिससे विशेष तौर पर बच्चे काफी प्रभावित होते है. प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चों का दिमाग ही विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है. इसका असर किशोरावस्था में देखने को मिलता है. वरिष्ठ चिकित्सक प्रोफेसर डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि प्रदूषण के चलते लोगों को नाक और गले की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण के नाक में जाने से राइनाइटिस (Rinitis) और साइनस में जाने से (Sinitis) की समस्या देखने को मिलती है. प्रदूषण से गले मे फरिंजिटिस (Pharyngitis) की परेशानी होती है. प्रदूषण में मौजूद विभिन्न प्रकार की गैसेज के शरीर में प्रवेश करने से ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. प्रदूषण नाक के अंदरूनी हिस्से और टॉन्सिल के ऊपर जम जाता है. जिसके चलते बेचैनी होने लगती है. यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो कई प्रकार के वायरल और फंगल इनफेक्शन हो सकते हैं. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति डॉ. त्यागी के मुताबिक, पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इखट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति ये भी पढ़ें :NCR Air Pollution: बढ़ते प्रदूषण से फेफड़ों को रखें सुरक्षित, प्रदूषण से बचाएंगे ये योगासन
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ प्राची गर्ग बताती है कि प्रदूषण के चलते गर्भवती महिलाओं (Impact of Air Pollution on Pregnant Women) को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही यदि गर्भवती महिला पहले से अस्थमा या खून की कमी से ग्रसित है तो थकान का सामना करना पड़ सकता है. यदि गर्भवती महिलाओं का अस्थमा नियंत्रित नहीं है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है. प्रदूषण के चलते गर्भवती महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत का सामना भी करना पड़ सकता है. प्रदूषण से गर्भ में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति डॉ गर्ग के मुताबिक, पीएम 2.5 और पीएम 10 के चलते गर्भवती महिलाएं सामान्य से कम वजन के बच्चों को जन्म देती हैं. या फिर गर्भ में पल रहा बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है. प्रदूषण के दौर में गर्भवती महिलाएं विशेष तौर पर ध्यान रखें. बाहर निकलने से परहेज करें. यदि बाहर निकलना आवश्यक है तो n95 मस्क का प्रयोग करें. ये भी पढ़ें :दिल्ली एनसीआर में हवा हुई ज़हरीली, रेड जोन में है कई इलाकों का प्रदूषण स्तर