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गजब: IIT दिल्ली के छात्रों ने खोजी ऐसी तकनीक, अब पराली से 'प्रदूषण' नहीं, होगी आमदनी

आईआईटी छात्रों की टीम ने एक ऐसी तकनीक की खोज की है, जिससे पराली अब वेस्ट मटेरियल नहीं किसानों के लिए इनकम का जरिया बन गया है. पराली से कई तरह की वस्तुएं बनाई जा रही हैं जैसे कप, प्लेट, कागज व अन्य.

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Published : Jul 28, 2019, 2:14 PM IST

Updated : Jul 28, 2019, 7:28 PM IST

IIT दिल्ली के छात्र पराली से बना रहे हैं कप, प्लेट

नई दिल्ली: दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्य इन दिनों प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं. यह समस्या तब और अधिक बढ़ जाती है जब हरियाणा और पंजाब के किसान अपने खेतों में पराली जलाते हैं.

पराली जलाने से कई बार तो स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है. इसी समस्या को देखते हुए आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने एक ऐसी तकनीक की खोज की है जिसके चलते पराली एक वेस्ट मटेरियल नहीं बल्कि किसानों के लिए आमदनी का साधन बन गया है.

IIT दिल्ली के छात्र पराली से बना रहे हैं कप, प्लेट

धुंध से सांस लेना हो जाता है दूभर
बता दें कि अक्टूबर-नवंबर के माह में धान की फसल की कटाई के बाद बची हुई पराली को अक्सर किसान जला देते हैं जिससे उठने वाला धुआं आसपास के इलाकों के वातावरण को प्रदूषित करता है. कभी-कभी तो यह स्थिति इतनी भयानक हो जाती है कि चारों ओर धुंध सा छा जाता है और लोगों को सांस लेने में काफी समस्या होती हैं.

अपने काम को दिखाते आईआईटी छात्रों की टीम

छात्रों ने खोजी तकनीक
वहीं आईआईटी के छात्रों ने इस समस्या को एक चुनौती की तरह लेते हुए इससे निजात पाने की तकनीक खोज ली ही है. इसको लेकर आईआईटी के छात्र अंकुर ने बताया कि इस तकनीक के तहत धान की फसल से बचने वाली पराली को रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें जैसे कप, प्लेट, कागज बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. छात्र ने कहा कि किसान अक्सर फसल से बची हुई हर चीज का उपयोग करते हैं चाहे चारे के रूप में, चाहे किसी और प्रकार से लेकिन पराली ही एक ऐसी चीज है जिसे बेकार समझ कर जला दिया जाता है. जिससे वातावरण प्रदूषित होता है.

पराली से बनाए कप, प्लेट

कागज, कप और अन्य वस्तुएं बनाने से पहले लुगदी को सूखाया जाता है
इसी समस्या को देखते हुए छात्रों ने अपनी शोध में ऐसी तकनीक खोजी है जिससे योग्य वस्तुएं बनाई जा सकती है. अंकुर ने बताया कि इस तकनीक के जरिए पराली में संशोधन कर कम से कम पानी के इस्तेमाल में ऐसी लुगदी तैयार की जाती है जिससे कि इस्तेमाल की वस्तुएं जैसे कप, प्लेट, गत्ता इत्यादि बनाया जा सके.
IIT दिल्ली के छात्र पराली से बना रहे हैं कप, प्लेट

पराली से होगी कमाई
वहीं आईआईटी के छात्र अंकुर ने कहा कि जो पराली अब तक किसानों के लिए किसी काम की नहीं थी, अब वह उनके आमदनी का जरिया बनती जा रही है. इस तकनीक के लागू होने के बाद पराली को अलग-अलग वस्तुएं बनाने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है .जिससे पराली किसानों से खरीदी जा रही है. इससे ना केवल किसानों की आमदनी हो रही है बल्कि प्लास्टिक के सामान के इस्तेमाल में भी खासी कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि वातावरण संरक्षण को देखते हुए इस तकनीक को खोजा गया है.

ऐसे होती है पराली से कागज़ बनाने की प्रक्रिया
वहीं पराली से कागज बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए छात्र अंकुर ने कहा कि पहले पराली को चारा काटने की मशीन से छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. उसके बाद उसे पानी में उबाला जाता है. पानी में उबालने से पराली के सभी रेशे अलग होने लगते हैं. उसके बाद उसे छाना जाता है और छानकर उसे पीस लिया जाता है. इसके बाद उसे सुखाया जाता है जिससे लुगदी तैयार हो जाती है. अब इस लुगदी का इस्तेमाल कर अलग-अलग तरह की चीजें जैसे अंडे की ट्रे, कार्डबोर्ड, शीट, कागज, कप, प्लेट, गत्ता आदि बनाए जाते हैं. इस तरह से प्रकृति को बिना कोई नुकसान पहुंचाए और बिना किसी रसायन का इस्तेमाल किए जरूरत की चीजें तैयार हो जाती हैं.

छात्र अंकुर का कहना है कि इससे ना सिर्फ प्रदूषण की समस्या दूर होगी बल्कि रोजगार भी मिलेगा और प्लास्टिक जैसे विषैले तत्वों का इस्तेमाल भी कम किया जा सकेगा और सबसे बड़ी चीज किसान भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं.

इस तकनीक को बनाने में इन छात्रों का है योगदान
बता दें कि इस तकनीक को बनाने में आईआईटी के छात्रों की एक टीम कार्यरत है जिसमें छात्र अंकुर कुमार, कनिका , प्राचीर दत्ता, जागृति सिंह, मृगांक आदि शामिल हैं. ये सभी छात्र अपने क्रिया लैब में इस तकनीक का प्रयोग कर विभिन्न वस्तुएं बनाते हैं.

Last Updated : Jul 28, 2019, 7:28 PM IST

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