नई दिल्लीःदिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान बताया गया है और इसकी तीव्रता 6.3 आंकी गई है.
भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था जो जमीन से 74 किलोमीटर नीचे था. शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे आए इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों के मन में डर बैठा दिया और भय के कारण लोग घर से बाहर निकल गए. हालांकि प्रकृति के इस आपदा से दिल्ली में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है.
राजधानी में कई बार आ चुके कम तीव्रता वाले भूकंप
भूकंप से एक बार फिर दिल्ली पर मंडरा रहे खतरे पर चिंताएं बढ़ गई हैं. रात 10 बजकर 36 मिनट पर आए इस भूकंप का केंद्र दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर ताजिकिस्तान में था. जमीन से 74 किलोमीटर नीचे और दिल्ली से बहुत दूर होने के चलते भूकंप का असर इतना प्रभावशाली नहीं रहा.
हालांकि जानकार अब भी दिल्ली पर मंडरा रहे संकट के लिए सतर्क रहने को कह रहे हैं. खबरों के अनुसार पिछले एक साल में दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. हर बार भूकंप का केंद्र दिल्ली के आस-पास ही था. कुछ ही दिन पहले भी दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे.
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सीएम ने सलामती की कामना की
राज्य में आए भूकंप के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एएनआई के हवाले से कहा, दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए. सीएम ने लोगों की सलामती की कामना भी की.
खतरनाक जोन में आती है दिल्ली
दरअसल राजधानी दिल्ली पहले ही खतरे के हिसाब से दूसरे सबसे खतरनाक जोन 4 (सीवियर इंटेंसिटी जोन) में आता है. दिल्ली के पूर्वी इलाके में कई सरकारी और निजी एजेंसियां खतरे की आशंकाएं जता चुकी हैं. ऐसे में भूकंप की संभावनाओं को दरकिनार कर बिना किसी जांच और भूकंपरोधी तकनीक के हो रहा विकास भूकंप की आशंकाओ को और बल दे देता है.
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यमुना की रेतीली जमीन सुरक्षित नहीं
जानकारों का कहना है कि दिल्ली जोन 4 में आती है जो पहले ही भूकंप के लिए खतरनाक है. ऐसे में यमुना की रेतीली जमीन पर बसे हुए इलाके हाई राइज बिल्डिंग्स के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है लेकिन यहां धड़ल्ले से इनका निर्माण हो रहा है.
जॉन विभाजन के नाम पर पहले ही दिल्ली मैं काम कर रही एजेंसीयां सवालों के घेरे में रहती है. अगर दिल्ली में एक बड़ी तीव्रता का भूकंप आ जाता है तो तबाही किस हद तक हो सकती है अंदाजा ही लगाया जा सकता है.