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टू-जी मामले पर जल्द सुनवाई की मांग पर आज विचार करेगा हाईकोर्ट - कनिमोझी

इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट आज जल्द सुनवाई करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करेगा.

High court will consider demand for early hearing on 2G spectrum case
टू-जी मामले पर जल्द सुनवाई की मांग पर आज विचार करेगा हाईकोर्ट

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Published : Sep 21, 2020, 9:15 AM IST

नई दिल्ली: हाईकोर्ट आज टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की जल्द सुनवाई करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

जल्द सुनवाई की मांग पर आज विचार
आरोपियों को याचिका की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश


पिछले 31 अगस्त को जब ये मामला जब जस्टिस बृजेश सेठी के पास सुनवाई के लिए आया था, तो उन्होंने ईडी और सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो सभी आरोपियों को याचिका की प्रति उपलब्ध कराएं. इसके पहले 14 अगस्त को सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि इस मामले पर सुनवाई करनेवाले जस्टिस बृजेश सेठी सितंबर में रिटायर हो रहे हैं.

ईडी ने कहा था कि इस मामले में सीबीआई की ओर से दलीलें पूरी हो गई हैं लेकिन कोरोना संकट की वजह आरोपियों की दलीलें पूरी नहीं हो पाई हैं. आरोपियों की दलीलें पूरी होने के बाद सीबीआई और ईडी को भी अपनी अतिरिक्त दलीलें पेश करने के लिए समय चाहिए.


सीबीआई और ईडी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है


इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.



2017 में ट्रायल कोर्ट ने सुनाया था फैसला


बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.

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