नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि एम्स की सीटें बिकाऊ नहीं हैं. एमबीबीएस की सीटें उन बच्चों को मिलती है, जो घंटों दाखिले के लिए तैयारी करते हैं. कोर्ट ने यह बात कहते हुए याचिकाकर्ता विम्मी चावला की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
जस्टिस जसमीत सिंह ने याचिकाकर्ता की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि उसने एम्स में एमबीबीएस की सीटें पक्की करने के लिए प्रतिवादी को पैसे दिए थे. दरअसल, याचिकाकर्ता विम्मी चावला ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उसने अपनी बेटी का एम्स में एमबीबीएस में दाखिला सुनिश्चित कराने के लिए दीपक सेठी नाम के शख्स को पैसे दिए थे. याचिका में आरोप लगाया गया था कि दीपक सेठी को पैसे देने के बावजूद बेटी का दाखिला नहीं हो पाया. उसके बाद याचिकाकर्ता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उच्च अधिकारियों से संपर्क किया था.