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तबलीगी जमात: जो विदेशी नागरिक आरोप स्वीकार कर लें, उनका निष्पादन पहले करें- HC - Disaster Management Act

दिल्ली हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सुझाव किया कि वो पहले तबलीगी जमात से जुड़े सभी मामलों का आरोपियों के देश के मुताबिक वर्गीकरण करें.

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Published : Jul 2, 2020, 10:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को सुझाव दिया है कि वो तबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करते समय उन मामलों का पहले निष्पादन करें, जिनमें आरोपी अपनी गलती मान चुके हों या जिसमें समझौते की गुंजाईश हो. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वो इन मामलों की सुनवाई के लिए एक तिथि और समय तय करें ताकि उन्हें तेजी से निपटाया जा सके.

तबलीगी जमात केस
पहले सभी मामलों का वर्गीकरण करें

हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सुझाव किया कि वो पहले तबलीगी जमात से जुड़े सभी मामलों का आरोपियों के देश के मुताबिक वर्गीकरण करें. मामलों का संज्ञान लेने के बाद अगर आरोपी अपना आरोप स्वीकारते हैं, या समझौता होता है तो उन्हें पहले निपटाया जाए. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उपस्थिति के लिए संबंधित देशों के उच्चायोग से भी आग्रह किया जा सकता है.

36 देशों के 956 विदेशी नागरिक आरोपी हैं

सुनवाई के दौरान मामले के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सतीश कुमार ने कहा कि 36 देशों के 956 विदेशी नागरिक आरोपी हैं. उनमें से 48 चार्जशीट और 11 पूरक चार्जशीट दाखिल किए जा चुके हैं. दिल्ली सरकार की ओर से राहुल मेहरा ने कहा कि ट्रायल आरोपियों के आरोप स्वीकार करने या समझौते होने पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि इन मामलों में साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट चार्जशीट पर 6 जुलाई को सुनवाई करेंगे. केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक बार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आपराधिक प्रक्रिया शुरु हो जाए तो उन्हें विदेशी नागरिकों को अपने देश भेजे जाने में कोई आपत्ति नहीं होगी.

125 मलेशियाई नागरिकों ने याचिका दायर किया है

बता दें कि हाईकोर्ट सवा सौ मलेशियाई नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जल्द सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठित करने की मांग पर सुनवाई कर रहा है. पिछले 17 जून को कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. याचिका उन 125 मलेशियाई नागरिकों की ओर से दायर की गई थी जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. याचिका में मांग की गई है कि इन मलेशियाई नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए एक कोर्ट को नियत किया जाए ताकि जल्द सुनवाई हो सके. ये सभी फिलहाल मलेशियाई उच्चायोग में हैं. इनके खिलाफ एपिडेमिक डिजीज एक्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई हैं.

हिरासत में लेकर क्वारेंटाईन सेंटर भेजा गया था

याचिका में कहा गया है कि ये सभी मलेशियाई नागरिक भारत में तब आए थे, जब यहां कोरोना का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था. उसी समय दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की थी और लोगों को एक जगह एकत्र होने से मना किया था. मलेशियाई नागरिक अपने लिए ठहरने की जगह तलाश रहे थे तभी उन्हें हिरासत में लेकर क्वारेंटाईन सेंटर भेज दिया गया.



वीजा नियमों के उल्लंघन का आरोप

याचिका में कहा गया है कि 965 विदेशी नागरिकों के खिलाफ 48 चार्जशीट दाखिल की गई हैं. ये सभी 36 देशों के नागरिक हैं. इन सभी नागरिकों पर वीजा नियमों का उल्लंघन और कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए जारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप है. इन पर धारा 144 के उल्लंघन का भी आरोप है. बता दें कि पिछले मार्च महीने में निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था जिसमें ये सभी विदेशी नागरिक आए थे.

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