नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को सुझाव दिया है कि वो तबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करते समय उन मामलों का पहले निष्पादन करें, जिनमें आरोपी अपनी गलती मान चुके हों या जिसमें समझौते की गुंजाईश हो. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वो इन मामलों की सुनवाई के लिए एक तिथि और समय तय करें ताकि उन्हें तेजी से निपटाया जा सके.
हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सुझाव किया कि वो पहले तबलीगी जमात से जुड़े सभी मामलों का आरोपियों के देश के मुताबिक वर्गीकरण करें. मामलों का संज्ञान लेने के बाद अगर आरोपी अपना आरोप स्वीकारते हैं, या समझौता होता है तो उन्हें पहले निपटाया जाए. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उपस्थिति के लिए संबंधित देशों के उच्चायोग से भी आग्रह किया जा सकता है.
36 देशों के 956 विदेशी नागरिक आरोपी हैं
सुनवाई के दौरान मामले के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सतीश कुमार ने कहा कि 36 देशों के 956 विदेशी नागरिक आरोपी हैं. उनमें से 48 चार्जशीट और 11 पूरक चार्जशीट दाखिल किए जा चुके हैं. दिल्ली सरकार की ओर से राहुल मेहरा ने कहा कि ट्रायल आरोपियों के आरोप स्वीकार करने या समझौते होने पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि इन मामलों में साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट चार्जशीट पर 6 जुलाई को सुनवाई करेंगे. केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक बार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आपराधिक प्रक्रिया शुरु हो जाए तो उन्हें विदेशी नागरिकों को अपने देश भेजे जाने में कोई आपत्ति नहीं होगी.