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11 महीने का किसान आंदोलन बॉर्डर पर अड़ा, सरकार भी अड़ी, लेकिन खुलने लगे 'रास्ते' - police started removing barriacdes

बीते 11 महीनों से राजधानी दिल्ली समेत देश के तमाम हिस्सों में जारी किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. आसपास के प्रदेशों से दिल्ली जाने वाले मुख्य रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक बंद कर दिया गया था, जिन्हें अब खोलने की शुरुआत हो गई है.

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11 महीने बाद भी देशभर में किसान आंदोलन जारी

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Published : Oct 30, 2021, 1:08 PM IST

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली-गाीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बीते 11 महीने से चल रहा है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान साफ कर चुके हैं, कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी, तब तक बॉर्डर से किसानों की गांव वापसी भी नहीं होगी. आंदोलन के इन 11 महीनों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले.

28 नवंबर 2020 को गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की शुरुआत हुई. आंदोलन के शुरुआती दौर में बॉर्डर पर हजारों की तादाद में किसान जुटे.

26 जनवरी 2021 को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद आंदोलन समाप्ति की ओर बढ़ता नजर आया. हिंसा के बाद बड़ी तादाद में किसान गाजीपुर बॉर्डर से गांवों के लिए निकल पड़े. जिसके बाद बॉर्डर पर किसानों की तादाद कम होने लगी.

28 जनवरी 2021 की रात राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में जान फूंक दी. टिकैत के आसुओं का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही गाजीपुर बॉर्डर से गांवों को वापस जा रहे हजारों ट्रैक्टर गाजीपुर बॉर्डर की तरफ घूम गए. देखते ही देखते आंदोलन में किसानों का सैलाब उमड़ पड़ा. रातों-रात लंगर भी दुबारा लगने शुरू हो गए.

ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद आंदोलन आखिरी सांसें ले रह था. आंदोलन के मुश्किल दौर में चौधरी अजित सिंह ने आंदोलन को समर्थन देकर नई ताकत दी. चौधरी अजित सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रावक्ता राकेश टिकैत से फोन पर बात करके कहा था 'चिंता मत करो, किसान के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है. सबको एक होना है, साथ रहना है'.

अजीत सिंह के शब्दों ने टिकैत परिवार को न सिर्फ किसानों के हक के लिए सरकार से लड़ने की ताकत दी बल्कि ट्रैक्टर परेड के बाद किसानों के टूटे हौसले को फिर से मजबूती दिया.

फरवरी 2021 के पहले हफ्ते में किसान आंदोलन को धार देने के लिए किसान नेताओं ने रणनीति में बदलाव किया. आंदोलन को दिल्ली के तमाम बॉर्डर से उठाकर देशभर में लेकर जाने की कोशिश शुरू हुई. देशभर में किसान महापंचायतों का दौर शुरू हुआ. राकेश टिकैत समेत किसान मोर्चा के अन्य नेताओं ने देशभर में जाकर महापंचायतों को संबोधित किया. ये सिलसिला अब तक जारी है.

किसान आंदोलन की दौरान कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले. कई किसान संगठनों ने खुद को किसान आंदोलन से अलग कर लिया तो कई संगठनों ने किसान आंदोलन के समर्थन में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा. सरकार तक अपनी आवाज बुलंद करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने तमाम तरह की कोशिशें की. भारत बंद और रेल रोको आंदोलन समेत तमाम तरीके से संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की. हालांकि अभी भी किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है. इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हुई, लेकिन सब बेनतीजा रही. तमाम आश्वासनों और MSP को इस कानून में शामिल करने को सरकार तैयार नहीं है. इसी को लेकर किसान आंदोलन जारी है.

किसान आंदोलन 11 महीने के दौरान खूब चर्चा में रहा. राकेश टिकैत ने सरकार पर तंज कसे. किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कर दिया कि तमाम रास्ते किसानों ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर बंद किए हैं. राकेश टिकैत द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग पर हरे रंग से लिख दिया गया. 'बैरिकेडिंग की जिम्मेदार मोदी सरकार', हालांकि सड़कों पर किसानों के टेंट लगे हुए हैं. सड़कों पर किसानों के लगे टेंट और खड़ी ट्रैक्टर ट्रॉलियों को देखकर भी हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

29 अक्टूबर 2021 की सुबह दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा के टीकरी बॉर्डर के साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर भी बैरिकेडिंग हटाने की शुरुआत की, लेकिन कुछ घंटों बाद ही काम रोक दिया गया. 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए उपद्रव के बाद दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर कई लेयर की बैरिकेडिंग की थी. कंटीले तार और सीमेंटेड बैरिकेडिंग भी लगाई गई थी.

30 अक्टूबर 2021कोJCB मशीनों के जरिए आज बैरिकेडिंग को हटाया जा रहा है. दिल्ली पुलिस के अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाले तमाम रास्ते बंद हैं. ऐसे में गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ सफर करने वाले लाखों लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. गाजियाबाद से दिल्ली में प्रवेश करने के लिए दूसरे रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि दिल्ली पुलिस के बैरिकेडिंग हटाने के बाद क्या यहां से ट्रैफिक आवागमन पहले की तरह शुरू हो जाएगा? आखिर जो बातें सरकार और उनके नुमाइंदे किसानों से आश्वासन के तौर पर मौखिक रूप से कह रहे हैं. उन्हें कानून में शामिल करने में क्या आपत्ति है?

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