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शिक्षा दिवस: 'शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए' - राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवंबर को देशभर में आजाद देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर शिक्षकों का भी मानना है कि शिक्षा दिवस का महत्व केवल किताबी ज्ञान तक शामिल नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह हमारे अच्छे स्वभाव का भी प्रमाण होता है.

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

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Published : Nov 11, 2020, 10:35 PM IST

नई दिल्लीः शिक्षा का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. शिक्षा में केवल किताबी बाते नहीं आती, बल्कि यह हमारे जीवन को व्यवस्थित करती है. शिक्षा से हमारा ही नहीं बल्कि हमारे समाज का भी विकास होता है. दरअसल आज 11 नवंबर को देशभर में शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस मौके पर शिक्षकों का मानना है कि शिक्षा लोगों को सभ्य बनाती है. शिक्षा दिवस पर बोलते हुए कई शिक्षकों ने इस दिन के महत्व को समझाया.

'शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए'

गौरतलब है कि 11 नवंबर 1888 को मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था. मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र देश के प्रथम शिक्षा मंत्री थे. वह गांधी जी की विचारधारा के समर्थक थे और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना सराहनीय योगदान दिया था. शिक्षा दिवस के मौके पर भारत शिक्षा के क्षेत्र में अबुल कलाम द्वारा किए गए कार्यों को याद करता है. मौलाना अबुल कलाम का मानना था कि स्कूल प्रोयगशालाएं हैं, जहां भावी नागरिकों का उत्पादन किया जाता है.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का है दिन

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने साल 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. उनका मानना था कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए. उन्होंने न केवल महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया, बल्कि उन्होंने 14 साल की आयु तक सभी बच्चों के लिए निःशुल्क सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा की वकालत की.

बता दें कि अबुल कलाम ने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया. मौलाना आजाद अपने समय के एक प्रमुख पत्रकार थे और भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल भी रहे थे. उन्होंने शिक्षा और राष्ट्र के विकास के बीच संबंध को समझा.

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