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डीयू के स्ट्रेटजिक प्लान पर मंथन आज, अकादमिक परिषद की विशेष बैठक में होगी चर्चा

डीयू अकादमिक परिषद की बैठक 6 दिसंबर से होगी. दिल्ली विश्वविद्यालय 2047 तक किस रूप में आकार लेगा इसको लेकर मंथन किया जाएगा. इसमें प्लान को पास किया जाना है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2023, 7:10 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय 2047 तक किस रूप में आकार लेगा इसको लेकर डीयू प्रशासन की ओर से एक स्ट्रेटजिक प्लान तैयार किया गया है. इस प्लान को धरातल पर किस तरह उतारना है इस पर मंथन के लिए बुधवार को अकादमिक परिषद (एसी) की एक विशेष बैठक बुलाई गई है. इसमें प्लान को पास किया जाना है. डीयू के स्ट्रेटजिक प्लान को लेकर शिक्षकों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपना लक्ष्य बताते हुए कहा है कि, "संस्थान राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर समाज, बाजार और व्यवसायों की भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने योगदान और शिक्षाशास्त्र के पुनर्गठन के प्रति गतिशील और अनुकूल है. यह न केवल हमारे राष्ट्र बल्कि पूरे विश्व की लगातार बदलती मांगों के प्रति संवेदनशील है और अपने छात्रों, कर्मचारियों और पेशेवरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित हो रहा है. 21वीं सदी के शिक्षण संस्थान के रूप में अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारा दृष्टिकोण महत्वाकांक्षी, गतिशील, प्रेरक और महत्वपूर्ण है. लक्ष्य है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यूएस वर्ल्ड विश्वविद्यालय रैंकिंग में दिल्ली विश्वविद्यालय को 481-490वां स्थान दिया गया.''

इसी रैंकिंग में इसे एशिया में 72वां और ब्रिक्स देशों में 41वां स्थान मिला. हमें वर्ष 2047 तक क्यूएस वर्ल्ड विश्वविद्यालय रैंकिंग में शीर्ष 100 और एशिया में शीर्ष तीन में स्थान पाने का प्रयास करना है. डीयू प्रशासन ने लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत से कार्यों की योजना बनाई है. इनमें अधोसंरचनात्मक विकास, आधुनिक प्रयोगशालाएं, शोध में बढ़ोतरी, पेंटेंट के लिए सेल की स्थापना आदि अनेक कार्य किए जाने हैं. विश्वविद्यालय के इस कदम पर डेमाक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने एक बयान जारी किया है. पूरे प्लान को दूसरे संस्थानों से लेने का आरोप लगाया है.

प्रो. मिथुराज ढूसिया ने कहा कि 19 पेज ऐसे हैं जो कापी किए गए हैं. प्लान विश्वविद्यालय को निजीकरण की ओर ले जाएगा. अगर डीयू को वास्तव में अपनी रैंकिंग सुधारनी है तो अच्छा कोर्स कंटेंट उन्हें तैयार करना चाहिए. एएडीटीए के अध्यक्ष प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय विकास कार्य हेफा से लोन लेकर कराना चाहता है. लेकिन, इसके लिए अनुदान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से आना चाहिए. अन्यथा छात्रों पर बोझ बढ़ता ही जाएगा. जून में ही वार्षिक शुल्क 46 प्रतिशत बढ़ाकर 2350 कर दिया है. सात जून को एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से विश्वविद्यालय सुविधाओं और सेवाओं के लिए शुल्क दोगुना कर 1,000 रुपये कर दिया गया है.

विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के कल्याण कोष के शुल्क को भी दोगुना कर 200 रुपये कर दिया है, जबकि अपने विकास कोष के शुल्क को पिछले साल जून में संशोधित कर 900 रुपये से 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया है. इसका बड़ा कारण विकास के लिए लिया जा रहा लोन है. स्ट्रेटजिक प्लान में भी ग्रांट को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. प्लान को और स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है.

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