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शहीद हुए किसानों के परिवारों को मिले एक-एक करोड़ का मुआवजा- चौधरी अनिल कुमार - डीपीसीसी प्रेस वार्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के एलान के बाद कांग्रेस इसे विजय दिवस की रूप में मना रही है. डीपीसीसी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि करीब एक साल हो जाने के बाद सरकार को यह समझ आया कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है.

प्रेस वार्ता
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Published : Nov 21, 2021, 10:21 PM IST

नई दिल्लीःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के एलान के बाद कांग्रेस इसे विजय दिवस की रूप में मना रही है. इसी कड़ी में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रेस वार्ता की गई, जिसमें की डीपीसीसी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार, विजय लोचव, अनिल भारद्वाज, रमेश कुमार समेत आदि नेता मौजूद रहे.


प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डीपीसीसी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि करीब एक साल हो जाने के बाद सरकार को यह समझ आया कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. 358 दिन पूरे होने पर प्रधानमंत्री की ओर से इन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का ऐलान किया, जिससे कि यह साफ है कि सरकार की नीयत में खोट है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए उनकी ओर से इन कृषि कानूनों को वापस ले जाने का ऐलान किया गया है, जबकि पिछले एक साल से बीजेपी की रणनीति बनाने में लगी रही कि कैसे इस आंदोलन को कुचला जा सके, किसानों को बॉर्डर से हटाया जाए, जिसके लिए केंद्र सरकार ने सभी प्रयास किए.

प्रेस वार्ता

चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी जो कि कोरोना काल में भी शुरुआत से किसानों के साथ डटे रहे. उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर सरकार को चेताया. लेकिन सरकार ने एक ना सुनी. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के दौरान 700 किसानों की जान चली गई, जिनमें से अधिकतर शहीद हुए, किसानों के परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है, सरकार को उन किसानों को शहीद का दर्जा देना चाहिए, इसके साथ ही उनके परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए.

चौधरी अनिल कुमार
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दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से कहा गया कि हम किसानों के साथ हैं. कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही किसानों की आवाज को उठाती आई है और आगे भी उनके साथ खड़ी हुई है और कांग्रेस किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग करती है. उनके परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता केंद्र सरकार की ओर से दी जानी चाहिए. यह जीत केवल किसानों की नहीं है, बल्कि पूरे देश की जीत है, क्योंकि कृषि कानूनों के विरोध में केवल सरकार के सभी लोग एकजुट थे, सभी लोग इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन बीजेपी सरकार इन कृषि कानूनों को लेकर अड़ी हुई थी, लेकिन कांग्रेस ने सड़क से लेकर पार्लियामेंट तक किसानों के साथ इन कृषि कानूनों के विरोध में अपनी आवाज उठाई और पूरे विपक्ष को एकजुट किया. सरकार ने आज जनता की आवाज के सामने घुटने टेके हैं, वह किसानों को इसके लिए बधाई देते हैं.

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