नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी घोटाले में सीबीआई द्वारा 17 अगस्त 2022 को दर्ज एफआईआर में अभियुक्त नंबर एक बनाए गए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आखिरकार गिरफ्तार हो गए. उनकी गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी के नेता भड़क गए हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आठ बजकर 50 मिनट पर मनीष सिसोदिया के घर परिवार से मुलाकात करने पहुंचे. दिल्ली सरकार के सामने अब बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो मंत्री सिसोदिया के पास महत्वपूर्ण विभाग है. अब उनकी जिम्मेदारी कौन संभालेगा.
रविवार देर शाम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कुछ ही दिनों में दिल्ली सरकार का बजट पेश होने वाला है, अब सिसोदिया गिरफ्तार हुए हैं तो बजट का क्या होगा? इतना ही नहीं स्वास्थ्य, शिक्षा, लोक निर्माण विभाग समेत डेढ़ दर्जन से अधिक विभागों की जिम्मेदारी अभी तक मनीष सिसोदिया के पास है. आम आदमी पार्टी ने पुरजोर तरीके से बीजेपी पर हमला बोला है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी से खतरा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगर किसी से सबसे अधिक डर है तो वह अरविंद केजरीवाल हैं. इसीलिए उनको कमजोर करने के लिए यह सब किया जा रहा है.
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि दुनिया का कोई भी ऐसा शिक्षा मंत्री नहीं होगा जो शराब घोटाले में गिरफ्तार हुआ हो. दुख होता है यह कहते हुए कि कि आपने हमारे बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है. वहीं, इन सबसे के बाद इस रिपोर्ट में जानिए दिल्ली आबकारी घोटाले की पूरी कहानी...
नवंबर 2021 में आप सरकार लेकर आई नई आबकारी नीतिःदिल्ली में पहले शराब की बिक्री सरकारी दुकानों पर होती थी. निर्धारित रेट पर ही चुनिंदा जगहों पर खुली हुई दुकानों में शराब बेची जाती थी. वर्षों पुरानी बनाई गई नीति के तहत शराब की बिक्री होती थी. दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में शराब की बिक्री के लिए नई आबकारी नीति को लागू किया. शराब की बिक्री की जिम्मेदारी निजी कंपनियों व दुकानदारों को दी गई. केजरीवाल सरकार का कहना था कि इससे कंपटीशन होगा और कम कीमत पर लोग शराब खरीद सकेंगे. इसके अलावा दुकान पर देसी- विदेशी सभी ब्रांडों की शराब एक जगह मिलेगी, लेकिन दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत नवंबर 2021 से दिल्ली में बिक रही शराब की दुकानों को अचानक बंद करने का सरकार ने फैसला लिया.
पुरानी नीति के तहत इस तरह शराब की होती थी बिक्रीःपुरानी शराब नीति में L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था, जिसमें L1 दुकानें डीडीए के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शापिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चलती थीं. दोनों तरह के लाइसेंस 2003 से थे. L10 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे. पुरानी पॉलिसी के तहत 260 प्राइवेट रिटेल शॉप, 480 गवर्नमेंट शॉप यानी कुल 740 शॉप थीं. हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता है.
नई नीति के तहत शराब बिक्री का प्लानःदिल्ली आबकारी नीति 2021-2022 के तहत पूरी दिल्ली को 32 लिकर जोन में बांटा गया. 9 जोन ने पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिया है. इसके तहत 849 दुकानें खुलीं. 31 जोन में 27 दुकानें मिली. एयरपोर्ट जोन को 10 दुकानें मिलीं. 639 दुकानें, 9 मई 2022 को और 464 दुकानें 2 जून 2022 को खोली गईं. जबकि इस 17 नवंबर 2021 को लागू होने से पहले दिल्ली में शराब की कुल 864 दुकानें थीं.
नई आबकारी नीति को लागू करने का खास मकसदःदिल्ली में नई आबकारी नीति को लागू करने के पीछे दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा तर्क शराब माफिया को खत्म करने और शराब के समान वितरण का था. साथ ही शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल कर दी गई. इसके साथ ही ड्राइ डे भी घट गए. इस नीति के लागू होने से दिल्ली पहली सरकार बनी जिसने शराब व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया. इसके तहत पब्लिक प्लेस में स्टोर के आगे कोई शराब पीता है तो पुलिस नहीं बल्कि स्टोर वाला जिम्मेदार होगा. लोगों को स्टैंडर्ड लेवल की शराब पीने को मिलेगी.
नई आबकारी नीति को लेकर विभाग प्रमुख पर आरोपःदिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनातनी जारी है. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के इरादे से तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नीति लागू होने से ठीक पहले नीति में बदलाव किया, इससे सरकार को रेवेन्यू का तगड़ा नुकसान हुआ. इसीलिए इस मामले की जांच सीबीआई करे.
वहीं मौजूदा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस पॉलिसी को लागू करने में हुई चूक और कथित अनियमितताओं के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल को सौंपी गई 37 पेज की रिपोर्ट के बाद की गई है. रिपोर्ट में सतर्कता विभाग की जांच को आधार बनाया गया है. मामले में सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को मुकदमा दर्ज कर लिया. आबकारी घोटाले में मुख्य रूप से आरोप है कि कोरोना काल में लाइसेंस धारकों को 144 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देना, मैन्युफैक्चरर्स और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को रिटेल में शराब बेचने का टेंडर मिलना, शराब कारोबारियों के एक साथ बिजनेस करने को आधार बनाया गया है.
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