नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने चीन से जासूसी करने के आरोप में जेल में बंद स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. जस्टिस अनु मल्होत्रा की बेंच ने 2 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. राजीव शर्मा की जमानत याचिका पटियाला हाउस कोर्ट खारिज कर चुका है.
सुनवाई के दौरान राजीव शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील अदीश सी अग्रवाल, आदित्य सिंह और अक्षत गोयल ने कोर्ट से कहा कि राजीव शर्मा के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है. एफआईआर में प्रथम दृष्टया कोई अपराध का होना नहीं पाया गया है. उन्होंने कहा कि राजीव शर्मा के पास से जो भी दस्तावेज बरामद किए गए हैं, वे सामान्य दस्तावेज हैं और उनका आफिशियल सिक्रेट्स एक्ट से कोई लेना-देना नहीं है. जिन 79 दस्तावेजों को गुप्ता रक्षा दस्तावेज कहा गया है, उन्हें रक्षा मंत्रालय की पुष्टि के बिना ही गोपनीय दस्तावेज कह दिया गया. उन्होंने कहा कि एफआईआर में किसी भी मंत्रालय का नाम नहीं है. उन्होंने कोर्ट से उन दस्तावेजों को खुद देखने का आग्रह किया.
'साक्ष्यों और गवाहों के बयान आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत'
पिछले 21 अक्टूबर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के सेशंस जज ने राजीव शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणी ने कहा था कि आरोप काफी गंभीर हैं और जांच अहम मोड़ पर है, इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती है. ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि आरोपी के परिजनों के व्यवहार से ऐसा लगता है कि वे गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी कोशिश चिंताजनक है. आरोपी के पास से संवेदनशील दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिसके बदले उन्हें पैसे भी मिले. विदेशी एजेंट के साथ संबंध आरोपी की इस दलील को खारिज करने के लिए काफी है कि वो निर्दोष है.