नई दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटरों के संचालन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी. इन याचिकाओं में वह याचिका भी शामिल है जिसमें हाई कोर्ट ने 16 जून को भंडारी हाउस नामक इमारत में संचालित कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना का संज्ञान लेने के बाद स्वयं कार्यवाही शुरू की थी. मंगलवार को हाई कोर्ट ने बिना फायर एनओसी वाले कोचिंग सेंटरों को लेकर दिल्ली पुलिस, एमसीडी और सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया.
कोचिंग सेंटरों को बंद करने का दिया था आदेश:महासंघ ने हाई कोर्ट के 25 जुलाई के आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की, जिसके द्वारा शहर के अधिकारियों को अग्निशमन सेवा विभाग से एनओसी के बिना यहां चल रहे सभी कोचिंग सेंटरों को बंद करने का निर्देश दिया गया था. न्यायालय ने कहा कि शहर में कोचिंग सेंटर दिल्ली मास्टर प्लान (एमपीडी), 2021 के तहत वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं. इसलिए छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.
कोचिंग सेंटरों के एक संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दावा किया कि वे मानदंडों का अनुपालन कर रहे हैं. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यह अधिकारियों को देखना है कि वे अनुपालन कर रहे हैं या नहीं. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि समीक्षा याचिका की प्रतियां उन सभी पक्षों को मुहैया कराई जाएं जो इसका जवाब दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं. इसने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), राज्य सरकार और मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ को चार सप्ताह के भीतर मामले में अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. कोर्ट ने कहा कि हमारा आदेश बिल्कुल स्पष्ट है. यदि कोई कोचिंग सेंटर एमपीडी 2021 के अनुरूप नहीं है तो उसे बंद करना होगा.