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Delhi High Court ने नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपी ट्यूटर की जमानत अर्जी खारिज की

दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपी ट्यूटर की जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसके आचरण से पता चलता है कि उसने न तो पेशे की कुलीनता का सम्मान किया है और न ही छात्र- शिक्षक संबंध की पवित्रता का.

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Published : Aug 3, 2023, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपी टीचर की जमानत अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने बुधवार को आरोपी की जमानत नामंजूर करते हुए कहा कि बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को इस विश्वास पर ट्यूशन भेजते हैं कि उनके शिक्षक उनकी देखभाल करेंगे लेकिन यहां नाबालिग का शोषण किया गया है. उसके आचरण से पता चलता है कि उसने न तो पेशे की कुलीनता का सम्मान किया है और न ही छात्र- शिक्षक संबंध की पवित्रता का. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने आदेश में कहा, पीड़ित की कम उम्र ने अपराध को और गंभीर बना दिया है.


हाई कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति ने शिक्षक होने और अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में बच्ची की अज्ञानता का फायदा उठाया. आदेश में कहा गया है कि उसने न केवल पीड़िता के शरीर का उल्लंघन किया बल्कि उसके शिक्षक के रूप में अपने रिश्ते की पवित्रता को भी शर्मशार किया है. हाई कोर्ट ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे यह मानते हुए जमानत दी जाए कि उसने लंबे समय तक शिक्षण के महान पेशे की सेवा की है.

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कोर्ट ने कहा ये कहने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता अपने बच्चों को, चाहे वे बेटी हों या बेटे, ट्यूशन सेंटरों में इस विश्वास और भरोसे के साथ भेजते हैं कि उनके शिक्षक उनकी देखभाल करेंगे, वर्तमान मामले में, एक शिक्षक द्वारा नाबालिग पीड़िता का शोषण, फायदा उठाया गया न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने आदेश में कहा, पीड़ित की कम उम्र ने अपराध को और गंभीर बना दिया है.

कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़ित बच्ची सदमे में थी और उसने इसकी जानकारी एक महिला शिक्षक को दी. जिन्होंने पीड़िता को अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में शिक्षित करने के साथ ही उसकी मां को भी सूचित किया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता की ही इमारत में रहने वाला 34 वर्षीय व्यक्ति उसे ट्यूशन पढ़ाता था. मार्च 2021 में, जब उसकी मां बाहर गई थी, तो उसने पीड़िता को अपने पास बुलाया और कथित तौर पर उसके साथ छेड़छाड़ की.

वसंत कुंज पुलिस स्टेशन में उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आरोपी ने यह दावा करते हुए जमानत मांगी कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और निराधार हैं. और वह पिछले दो साल से न्यायिक हिरासत में है. न्यायमूर्ति स्वर्णकान्ता शर्मा ने आदेश में कहा, “यह अदालत कृत्य के उद्देश्य और इरादे, पीड़िता की कोमल उम्र, आवेदक के आचरण, पीड़ित बच्चे की गरिमा को ठेस पहुंचाने, यौन बातचीत में शामिल होने, इसका फायदा उठाने पर विचार कर रही है.


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