नई दिल्ली : पटियाला हाउस कोर्ट (patiyala house court) ने एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि वादी हिंदी में कार्रवाई को रिकॉर्ड करने का अनुरोध करता है तो राष्ट्रीय राजधानी की सभी अदालतें कार्यवाही को हिंदी में रिकॉर्ड करने के लिए बाध्य (Courts are bound) हैं. पटियाला हाउस कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि हिंदी में साक्ष्यदर्ज करने के लिए इस तरह के अनुरोध को अस्वीकार करना दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशानुसार (Code of Criminal Procedure) यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 272 और नियम 1 (बी) (i) का उल्लंघन होगा.
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अदालत की भाषा तय करने का अधिकार राज्य को :सीआरपीसी की धारा 272 में कहा गया है कि राज्य सरकार यह निर्धारित कर सकती है कि अदालत की भाषा क्या होगी. दिल्ली उच्च न्यायालय नियम, खंड के नियम 1 (बी) (i) मैं प्रावधान करता हूं कि देवनागरी लिपि में हिंदी दिल्ली उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों की भाषा होगी. दिल्ली उच्च न्यायालय के नियमों के साथ पठित धारा 272 सीआरपीसी के तहत कानून की स्पष्ट स्थिति के मद्देनजर, जब भी इस संबंध में अनुरोध किया जाता है, तो अदालतें साक्ष्य या किसी अन्य कार्यवाही को हिंदी में रिकॉर्ड करने के लिए बाध्य हैं. इसलिए कोर्ट ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनु श्री की ओर से पारित एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमे हिंदी में साक्ष्य दर्ज करने की याचिका को खारिज कर दिया था.