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सांसद गौतम गंभीर और दो विधायकों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया जांच का निर्देश

कोरोना की दवाइयां और ऑक्सीजन सिलेंडर बांटे जाने के मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और दो विधायकों प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं.

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सांसद गौतम गंभीर

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Published : May 24, 2021, 1:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और दो विधायकों प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार की ओर से कोरोना की दवाइयां और ऑक्सीजन सिलेंडर बांटे जाने की जांच करने का निर्देश दिया है. इस मामले में जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये निर्देश दिया है.

दवाइयां देने का विज्ञापन दिया था

सुनवाई के दौरान वकील विराग गुप्ता ने कहा कि राजनेताओं के कुछ कनेक्शन हैं. उन्होंने कहा कि जब आम लोगों को दवाइयां नहीं मिल रही थी, तो सांसद गौतम गंभीर इसे बांट रहे थे. गौतम गंभीर सार्वजनिक रुप से लोगों को दवा बांट रहे थे, तो पुलिस ने इस बात की पड़ताल क्यों नहीं की कि क्या किसी के साथ धोखाधड़ी हुई है.

गुप्ता ने कहा कि गौतम गंभीर ने 25 अप्रैल को विज्ञापन दिया कि वे दवाइयां बांट रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि गौतम गंभीर फाउंडेशन को दवाइयां कैसे मिलीं. पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में ये कही नहीं लिखा है कि किसे पैसे दिए गए.


केमिस्ट और राजनेता को कड़ा संदेश देने की जरुरत

गुप्ता ने कहा कि फेबिफ्लू डॉक्टर की पर्ची पर ही दी जाती है. एक डॉक्टर ने 18 अप्रैल को पर्ची दी थी और दवा दूसरे डॉक्टर ने दी. गौतम गंभीर न तो डॉक्टर हैं और न ही केमिस्ट हैं. गुप्ता ने कहा कि दवाइयों की जमाखोरी की वजह से कई लोगों की जान गई. पुलिस के स्टेटस रिपोर्ट में न तो डॉक्टर का जिक्र है और न ही मेडिकल कैंप का.

दवाइयां पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लोकसभा क्षेत्र के लोगों को दी गई और दवा की रसीद भी नहीं दी गई. गुप्ता ने कहा कि ये पूरा मामला फर्जीवाड़ा और सांठ-गांठ का हैं. केमिस्ट और राजनेता को कड़ा संदेश देने की जरुरत है.

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इतने बड़े पैमाने पर दवाइयां कैसे मिलीं

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे पास वाउचर और विस्तार से जानकारी है कि किसे दवाइयां दी गई. इसे हम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल करेंगे. ये मामला दवाईयों के वितरण से जुड़ा है. ड्रग कंट्रोलर की ओर से वकील नंदिता राव ने कहा कि ऑक्सीमीटर अभी तक ड्रग घोषित नहीं किया गया है. इस पर प्रस्ताव अभी लंबित है.

रेमेडेसीवर ऐर फेबिफ्लू ड्रग हैं, लेकिन इसे लेकर आम जनता की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई है. तब कोर्ट ने कहा कि हम ये जानना चाहते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर दवाइयां कैसे मिलीं जबकि दवाइयों की कमी थी. कोर्ट ने कहा कि बिना मरीज के नाम के केमिस्ट दवा कैसे दे सकता है.

केमिस्ट इतना बड़ा सप्लायर तो नहीं हो सकता, उसे तो रिटेल बिक्री करनी होती है. तब राव ने कहा कि हमें खुद इसकी जांच करनी होगी. ड्रग विभाग ने कहा है कि उसके पास 21 अधिकारी हैं लेकिन अभी सभी प्रशिक्षित नहीं हैं. तब कोर्ट ने कहा कि आप केमिस्ट से शुरुआत कीजिए.

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बाजार से इतनी दवाइयां कैसे खरीदीं

कोर्ट ने कहा कि गौतम गंभीर की मंशा भले ही ठीक रही हो लेकिन गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का मसला जरुर है. आप बाजार से इतनी दवाइयां कैसे खरीद सकते हैं. कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि आपको ये बताना है कि किसके खिलाफ कार्रवाई करनी है, ये पूरी श्रृंखला है. कोर्ट ने कहा कि जांच जैसे भी हो ड्रग कंट्रोलर को इसकी जांच करनी होगी. गौतम गंभीर राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं. हमें पूरा भरोसा है कि उनकी नीयत ठीक होगी. लेकिन जिस तरीके से सब कुछ किया गया वह सेवा नहीं हो सकती है.


प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार के खिलाफ शिकायत

सुनवाई के दौरान वकील सत्या ने कहा कि विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार के खिलाफ उन्होंने एक शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से दोनों को ऑक्सीजन सिलेंडर का परिवहन करने के लिए दी गई वाहन की जानकारी मांगी. तब पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने कहा कि वे वाहन उनके नहीं थे. ये कांट्रैक्ट के आधार पर लिए गए वाहन थे. सत्या ने कहा कि वाहन पर पीडब्ल्यूडी लिखे हुए थे.

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उन्होंने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई अपराध नहीं हुआ है और किसी के साथ फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है. कोई विधायक नोडल अफसर नहीं है. उसे पहले नोडल अफसर या कोर्ट से संपर्क करना चाहिए था. ये जिम्मेदार तरीका नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने गौतम गंभीर, प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार को लेकर एक हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखइल करने का निर्देश दिया.

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