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केजरीवाल सरकार के भरोसे दिल्ली वालों को नहीं छोड़ सकती केंद्र: आदेश गुप्ता

दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले मुंबई से भी ज्यादा हो गए हैं. सरकार कोरोना से जंग में कितनी कारगार साबित हुई और सरकार ने क्या इंतजाम किए है, इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता से खास बतचीत की.

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ईटीवी भारत की आदेश गुप्ता से खास बातचीत

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Published : Jun 25, 2020, 8:33 PM IST

नई दिल्ली: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है, अब मुंबई को भी दिल्ली ने पछाड़ दिया है. आखिर सरकार कहां फेल हुई. क्या इंतजाम किए जाने चाहिए थे. इस पर ईटीवी भारत ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता से खास बातचीत की. उन्होंने इस दौरान कहा कि स्थिति चिंताजनक है और दिल्ली सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई, इसका यह परिणाम है.

कोरोना से निपटने के इंतजाम पर ईटीवी भारत की आदेश गुप्ता से खास बातचीत
'ठीक काम करती तो केंद्र नहीं करता हस्तक्षेप'आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की स्थिति बिगड़ रही थी, तब केंद्र सरकार ने कमान संभाला. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोरोना टेस्टिंग में इजाफा, निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगाने और आइसोलेशन सेंटर जहां कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा जा सके इस पर विस्तार से काम किया है. यह काम दिल्ली सरकार स्वयं करती तो केंद्र को हस्तक्षेप करने की जरूरत ही नहीं थी.

'व्यवस्था के साथ निगरानी भी कर रही'

केंद्र सरकार न केवल कोरोना संक्रमण को दूर करने के लिए इंतजाम कर रही है, व्यवस्था बना रही है. बल्कि उसकी निगरानी भी गंभीरता से कर रही है. यह काम दिल्ली सरकार ने नहीं की. चाहे मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री हो या आम आदमी पार्टी के विधायक हो, सबने कोरोना काल में भी राजनीति की और विज्ञापनों में ही छाए रहे. उन्हें ग्राउंड की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं था.

'मरीजों की तकलीफ से सरकार ने किया किनारा'

कोरोना मरीजों को आज जो तकलीफ हो रही है, यह तकलीफ नहीं होती. अगर केजरीवाल सरकार गंभीर होती व्यवस्था बनाती और उसकी मॉनिटरिंग करती. ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता, अतिरिक्त बेड के इंतजाम को लेकर अब जिस तरह की कोशिशें हो रही है यह केजरीवाल सरकार ने नहीं किया. तभी केंद्रीय मंत्री को आगे आना पड़ा.

'छतरपुर में 10 हजार बेड का अस्पताल'

आदेश गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े कोरोना सेंटर जहां अब 10 हजार मरीज एक साथ रह सकते हैं, उसकी कमान सेना को दे दी गई है. इस पर दिल्ली सरकार ने पहले क्यों नहीं विचार किया? क्यों गृह मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा? इससे साफ पता चलता है कि केजरीवाल सरकार कभी कोरोना को लेकर गंभीर नहीं रही. दिल्ली की जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया.

'कोरोना संक्रमण की ट्रेसिंग'

दिल्ली सरकार ने कोरोना के ट्रेसिंग ही नहीं की. अगर कोई संक्रमित हुआ तो यह नहीं पता लगाया कि इसे संक्रमण कैसे हुआ. जिसकी वजह से फैलता ही चला गया और आज यह आक्रोश सामने हैं. इसे रोका जा सकता था. अब गृह मंत्रालय ऐसा ही कर रही है. वहीं होम आइसोलेशन व इलाज को लेकर गृह मंत्रालय के साथ बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनके अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं और बाहर निकलने पर उसका विरोध करते हैं. दबाव बनाने की कोशिश करते हैं कि जैसा दिल्ली सरकार करना चाहती है वही हो. यह कैसी राजनीति है?

'समय राजनीति का नहीं'


आदेश गुप्ता ने साफ कहा कि समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि दिल्ली को कोरोना से बचाना है. केंद्र दिल्लीवालों को केजरीवाल सरकार के हाल पर नहीं छोड़ सकती.

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