नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का सत्र शुक्रवार को तकरीबन सवा 11 शुरू हुआ. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने दिल्ली विधानसभा के गठन के 30 साल पूरे होने पर सभी को बधाई दी. हालांकि विधानसभा के अधिकारों कम करने और फंड कटौती करने पर उन्होंने चिंता भी जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के वित्त सचिव विधानसभा की स्वतंत्रता खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं. वे विधानसभा के वित्तीय अधिकारों को कम करने पर तुले हैं.
इसपर विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एतराज जताया. उन्होंने कहा कि बतौर विधानसभा अध्यक्ष उन्हें इस तरह की बात नहीं बोलनी चाहिए. दरअसल दिल्ली राज्य विधानसभा का गठन पहली बार 17 मार्च 1952 को राज्य सरकार अधिनियम 1951 के तहत किया गया था, लेकिन 1 अक्टूबर, 1956 को इसे भंग कर दिया गया था. फिर सितंबर 1966 में विधानसभा की जगह 56 निर्वाचित और पांच मनोनीत सदस्यों वाली एक मेट्रोपॉलिटन काउंसिल बनाई गई. हालांकि दिल्ली के शासन में इस काउंसिल की भूमिका केवल एक सलाहकार की थी और काउंसिल के पास कानून बनाने की कोई शक्ति नहीं थी. इसके बाद वर्ष 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत केंद्र शासित दिल्ली को औपचारिक रूप से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की पहचान दी गई.