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दिल्ली AIIMS के बाहर सर्द रातों में ठिठुर रहे मरीज और तीमारदार, जानिए क्यों हैं फुटपाथ पर सोने को मजबूर

Delhi AIIMS Hospital: दिल्ली की कंपा देने वाली ठंड में भी एम्स अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों व उनके परिजन पर्याप्त संख्या में रैनबसेरे न होने के कारण फुटपाथ के बाहर सोने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत ने इसे लेकर उन मरीजों से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 15, 2023, 1:50 PM IST

Updated : Dec 15, 2023, 2:25 PM IST

सर्द रातों में ठिठुरने को मजबूर मरीज

नई दिल्ली:दिसंबर के दूसरे हफ्ते से राजधानी में ठंड बढ़ने लगी है. इस स्थिति में देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में एक दिल्ली AIIMS के बाहर का नजारा चौंकाने वाला है. यहां पर्याप्त संख्या में रैनबसेरे नहीं होने के कारण लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं. दिल्ली AIIMS में इलाज कराने के लिए मरीज देश के कोने-कोने से आते हैं. कई दिन लगातार इलाज कराने के चलते उन्हें यहीं ठहरना पड़ता है. पैसों की तंगी के चलते ये लोग अस्पताल के बाहर ही फुटपाथ पर सो जाते हैं.

रात के करीब 11 बजे जब 'ईटीवी भारत' की टीम इनकी स्थिति का जायजा लेने पहुंची तो देखा कि खुले आसमान के नीचे ठंड ने इन लोगों की मुश्किलों को दोगुना कर दिया था. AIIMS अस्पताल के बाहर गेट नंबर एक और दो पर कई लोग जैसे- तैसे अपनी कंबल व चटाई बिछाए हुए थे. केवल एक कंबल या पुराने स्वेटर के साथ ही ये मरीज फुटपाथ पर ठंडी रात बिता रहे हैं.

व्यवस्था को लोकर लोगों ने क्या कहा:बिहार के जहानाबाद से इलाज कराने पहुंची अंजू बताती हैं कि, मैं अपने पति के का इलाज कराने के लिए आई हूं. रैनबसेरों में जगह न होने के चलते उन्हे फुटपाथ पर सोना पड़ रहा है. खाने-पीने की भी काफी समस्या है. राह चलते कोई खाना दे दिया उसी से गुजारा चल रहा है. वहीं बिहार के विक्की निगम ने बताया कि वह पिछले कई दिनों से फुटपाथ पर सो रहे हैं क्योंकि उन्हें सुबह पांच बजे पर्ची के लिए लाइन में लगना होता है. दूसरी तरफ यूपी के बरेली से पहुंची नसीमा खान ने बताया कि वह अपने बच्चे की इलाज के लिए यहां पहुंची हैं. यहां पहुंचकर दुख होता है सरकार हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही, फुटपाथ पर सोना मजबूरी है. और तो और यहां चोरी और छेड़खानी जैसी वारदात भी होती रहती है.

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दूर-दराज के गांवों से आते हैं मरीज:गौरतलब है कि दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भारत के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है. 1956 में स्थापित इस अस्पताल में प्रतिदिन मरीजों का आना-जाना लगा रहता है. इनमें से बड़ी संख्या में मरीज दूर-दराज के गांवों और कस्बों से आते हैं और उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं होते है. परिणामस्वरूप, इनमें से कुछ रोगियों और उनके परिवारों को सड़कों पर रहना पड़ता है. एम्स के बाहर फुटपाथ पर सोने वाले लोग गरीबी और बिमारी से लाचार हैं. इन लोगों की मांग है कि सरकार पर्याप्त संख्या में रैनबसेरे का इंतजाम करे, जिससे इनकी मुश्किलें थोड़ी आसान हो सके.

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Last Updated : Dec 15, 2023, 2:25 PM IST

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