नई दिल्ली: राजधानी की पहचान से जुड़ने के बावजूद यमुना नदी की दुर्दशा कभी दूर नहीं हुई. एनजीटी के तमाम कड़े आदेशों के बावजूद यमुना के जल प्रवाह क्षेत्र में अब भी कूड़े और मलबा डाला जा रहा है और यह किसी एक जगह की बात नहीं है. दिल्ली में यमुना जहां प्रवेश करती है और जहां दिल्ली की सीमा समाप्त होती है, वहां तक यमुना में कल कारखानों के अवशिष्ट से लेकर निर्माण कार्य से जुड़ा मलबा भी देखा जा सकता है.
DPCC ने किया निरीक्षण
दिल्ली के कई स्थानों पर बीते हफ्ते दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने एक एनजीओ साउथ एशियन नेटवर्क ऑन डैम, रिवर एंड पीपल (SANDRP) के साथ मिलकर यमुना का निरीक्षण किया. इस निरीक्षण के बाद जो हकीकत सामने आया, वो चौंकाने वाला है. मयूर विहार पुल के पास यमुना के जल प्रवाह क्षेत्र के करीब 8 हजार स्क्वॉयर मीटर में मलबों की दो-चार फुट ऊंची परत बन गई है. इतना ही नहीं, सराय काले खान के पास भी यही स्थिति है.
निर्माण कार्य का मलबा यमुना में
सराय काले खान के पास यमुना में तो 20 हजार स्क्वॉयर फुट में मलबों का ढेर पड़ा है. इस एनजीओ की तरफ से यमुना का गूगल अर्थ इमेज भी लिया गया है, जो बताता है कि लगातार डाले जा रहे मलबों की वजह से यमुना के प्रवाह क्षेत्र को काफी नुकसान हो रहा है. ये दोनों वो जगह हैं, जहां निर्माण कार्य चल रहा था और इन मलबों का एक बड़ा हिस्सा इस निर्माण कार्य का है. स्पष्ट है कि यह सरकार और संस्थाओं की मिलीभगत से हो रहा है.