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17 लाख फ्लैट बनाने के लिए पहली परीक्षा हुई पास, अब डेवलपर का इंतजार - खबर

जमीन को लेकर डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर का कहना है कि अब पहले इन जमीनों का सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद नियम पूरे करने वाले डेवलपर यहां निर्माण कार्य शुरु कर सकेंगे.

17 लाख फ्लैट बनाने के लिए पहली परीक्षा हुई पास ETV BHARAT

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Published : Sep 14, 2019, 5:29 AM IST

नई दिल्ली : लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत 17 लाख फ्लैट तैयार करने के रास्ते में डीडीए को बड़ी कामयाबी मिली है. बाहरी दिल्ली के चार जोन में 6407 हेक्टेयर जमीन के लिए डीडीए के पास आवेदन आ गए हैं. डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर का कहना है कि अब पहले इन जमीनों का सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद नियम पूरे करने वाले डेवलपर यहां निर्माण कार्य शुरु कर सकेंगे.

17 लाख फ्लैट बनाने के लिए पहली परीक्षा हुई पास

डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर ने बताया कि लैंड पूलिंग पॉलिसी भारत सरकार की बेहद महत्वपूर्ण पॉलिसी है. इसके तहत ऐसा विकास होगा जो लोगों ने सोचा नहीं होगा. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2018 में लैंड पूलिंग पॉलिसी पास हो गई थी. जिसके बाद लोगों से इसमें भाग लेने के लिए आवेदन मांगे गए थे.

बता दें कि बाहरी दिल्ली के 5 जोन से बीते 6 सितंबर तक 6408 हेक्टेयर जमीन डीडीए के पास पुल कर आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि किसी भी प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी परेशानी जमीन अधिग्रहण की होती है, लेकिन इस पॉलिसी में खुद किसान अपनी जमीन जमा करवाकर भाग ले रहे हैं.

'फ्लैटों में होगी विश्वस्तरीय सुविधा'
तरुण कपूर ने बताया कि यहां पर विश्व स्तरीय सुविधा के फ्लैट बनाए जाएंगे. यहां अस्पताल, स्कूल, हरियाली जैसी सुविधाएं होंगी. यहां पर पानी की कम आवश्यकता होगी और बिजली का बेहतर इंतजाम होगा. उन्होंने बताया कि इस पॉलिसी के तहत आगे किस तरीके से काम होगा यह समझाने के लिए एसडीएम अलीपुर, नजफगढ़ और कंझावला के दफ्तर में डीडीए के अधिकारी तैनात किए गए हैं. डीडीए सबसे पहले जमा करवाई गई जमीन के दस्तावेजों की जांच दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग से करवाएगा. यह सत्यापन होने के बाद क्षेत्र को विकसित किया जाएगा.

'डीडीए की देखरेख में रहेगी जमीन'
तरुण कपूर ने बताया कि फिलहाल इस पूरे क्षेत्र को प्लानिंग एरिया मानते हुए यहां पर डीडीए ने इसकी देखरेख करना शुरू कर दिया है. इसके लिए फील्ड ऑफिसर भी तैनात कर दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि जिस सेक्टर में 70 फीसदी जमीन उनके पास आ जाएगी, उस पर आगे काम शुरू कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि अभी जिस तरीके से उनके पास जमीन आई है, इसके तहत कम से कम चार सेक्टर डेवलप किए जा सकेंगे. उन्होंने बताया कि सत्यापन के बाद कंसोर्टियम बनाया जाएगा और फिर लाइसेंस, रेरा का काम पूरा करने के बाद यहां पर फ्लैट बनने का काम शुरू होगा. उन्होंने डेवलपर और इन्वेस्टर से मांग की है कि वह भी आगे आए और इस प्रोजेक्ट में भाग लें.

'किसानों को होगा पॉलिसी से फायदा'
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा कि इस तरह की पॉलिसी देश के कई राज्यों में आई है, लेकिन दिल्ली की पॉलिसी सबसे अलग है. अभी तक जमीन अधिग्रहण करने पर केवल जमीन के मालिक को मुआवजा दे दिया जाता था. लेकिन दिल्ली की लैंड पूलिंग पॉलिसी में ऐसा नहीं है.

यहां पर मालिक अगर चाहे तो ही उसे पूरा मुआवजा देकर अलग किया जाएगा. अगर वह चाहे तो वह यहां बढ़ने वाली इलाके की कीमत को लेकर हिस्सेदारी भी कर सकता है. इससे उन्हें ज्यादा फायदा होगा. इसके लिए किसी के पास जमीन ज्यादा और कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

'17 लाख फ्लैट जल्द बनने शुरु होंगे'
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी बीते 12 साल से लटकी हुई थी. इस बारे में सबसे बड़ा यह विवाद था कि जमीन का टाइटल कैसे ट्रांसफर किया जाएगा. लेकिन इस सरकार ने समस्या का समाधान निकाला और अब 6000 एकड़ जमीन उन लोगों के पास आ चुकी है. उन्होंने बताया कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत लगभग 17 लाख फ्लैट बनाए जाएंगे, जिनमें से पांच लाख फ्लैट गरीब वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए होंगे.

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