मुख्यातिथि मेधा पाटकर ने कहा कि इस दलित साहित्य उत्सव का बहुत अहम योगदान है. इस उत्सव के जरिए साहित्य और साहित्यकारों की परिभाषा व्यापक हुई है. जो लोग इस व्यवस्था का प्रतिरोध करते हैं और चुनौती देने का काम करते हैं, उनको एकजुट करने का काम इस साहित्य उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है.
अलग विचारों को एक मंच
मेधा पाटकर का कहना है कि आज अलग-अलग विचारों को एक मंच पर लाना बहुत जरूरी है. जो अलग-अलग विचारों से दलित और शोषित की आवाज उठाते हैं, उनको सामने लाना और एक विकल्प प्रदान करना इस साहित्य उत्सव के माध्यम से हो सकता है.
4 फरवरी तक चलेगा महोत्सव
उन्होंने कहा कि आज के समय में जब अत्याचार किए जा रहे हैं और संविधान को कुचला जा रहा है तो ये दलित साहित्य उत्सव एक नई ताकत देने का काम करेगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में ये दो दिवसीय दलित साहित्य उत्सव सोमवार 4 फरवरी तक चलेगा.