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45 दिनों में व्यापारियों को 12 लाख करोड़ का नुकसान, CAIT ने की राहत पैकेज की मांग

कोरोना की वजह से सभी व्यवास बंद हैं, जिसकी वजह से व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. कैट के अनुसार व्यापारियों को पिछले 45 दिनों में लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जिसे लेकर कैट राष्ट्रीय महामंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए एक वित्तीय पैकेज दिया जाए.

12 lakh crore loss to traders in 45 days
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स

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Published : May 16, 2021, 2:18 PM IST

नई दिल्ली: कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने यह आंकड़े जारी करके बताया है कि देश का व्यापार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. कोरोना की दूसरी लहर ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की व्यापारियों ने पिछले 45 दिनों की अवधि में सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए देश के आंतरिक व्यापार के राज्यवार नुकसान का अनुमान लगाया है. जो लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का है.जो कि काफी बड़ा नुकसान है. प्रति वर्ष देश भर में में लगभग 115 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होता है. देश में लगभग 8 करोड़ छोटे बड़े व्यापारी हैं, जो देश के घरेलू व्यापार को चलाते हैं.

45 दिनों में व्यापारियों को 12 लाख करोड़ का नुकसान

12 लाख करोड़ रुपये के व्यापारिक नुकसान में खुदरा व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ रुपये और थोक व्यापार में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. एक अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र को करीब 1.10 लाख करोड़, दिल्ली को करीब 30 हजार करोड़, गुजरात को करीब 60 हजार करोड़, उत्तर प्रदेश को करीब 65 हजार करोड़, मध्य प्रदेश को करीब 30 हजार करोड़, राजस्थान को करीब 25 हजार करोड़, छत्तीसगढ़ को लगभग 23 हजार करोड़, कर्नाटक को लगभग 50 हजार करोड़ का व्यापार का नुकसान हुआ है और इसी तरह अन्य राज्यों को पिछले 45 दिनों के दौरान व्यापार में बड़ा घाटा हुआ है.

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प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए एक वित्तीय पैकेज दिया जाए. व्यापारियों की जिम्मेदारी केवल केंद्र सरकार की नहीं है, बल्कि राज्य सरकारें भी अपने-अपने राज्यों के व्यापारियों के लिए उत्तरदायी है.

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पिछले साल लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों को सरकार द्वारा घोषित विभिन्न पैकेजों में कोई जगह नहीं मिली थी, हालांकि अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्रों के हितों का विधिवत ध्यान रखा गया था. पहले उपाय के रूप में सरकार को जीएसटी, आयकर और टीडीएस के तहत सभी पालनाओं की वैधानिक तिथियों को कम से कम 31 अगस्त, 2021 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए. इसके अलावा बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को व्यापारियों को आसान तरीके से और रियायती ब्याज दर पर ऋण देने का निर्देश दिया जाए. डिजिटल भुगतान करने पर बैंक शुल्क माफ किया जाना चाहिए और सरकार बैंक शुल्क सीधे बैंकों को सब्सिडी दे सकती है.

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