नई दिल्ली:आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सरकार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से फिर बातचीत करे. इसे लेकर आम आदमी पार्टी के पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान और दिल्ली से विधायक और पंजाब के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में इन दोनों नेताओं ने कहा है कि आंदोलनरत किसान अपने सैकड़ों साथियों को खो चुके हैं, उनकी मांगें जायज हैं, इसलिए केंद्र सरकार फिर से उनसे बातचीत करे.
'अब तक हो चुकी है 11 दौर की बातचीत'इस चिट्ठी में भगवंत मान और राघव चड्ढा ने लिखा है कि पिछले करीब 6 महीनों से पंजाब समेत अलग अलग प्रदेशों के किसान केंद्र सरकार की द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए दिल्ली की सीमा पर रोष प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन के दौरान किसान अब तक अपने 470 साथियों को खो चुके हैं, जो कि अति दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है. इस मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच 11 बार वार्ता हो चुकी है, परंतु अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है.
'22 जनवरी से नहीं हुई बातचीत की कोशिश'प्रधानमंत्री से इन नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 22 जनवरी 2021 के बाद किसानों से बातचीत की कोई भी कोशिश नहीं की. यह किसानों समेत पूरे राष्ट्र हित में ठीक नहीं है. किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं और कृषि के बिना इस देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इन दोनों नेताओं ने कहा है कि मौजूदा कोरोना काल के दौरान भी कृषि क्षेत्र को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्रों में जबरदस्त मंदी दर्ज की गई है. कृषि क्षेत्र के मज़बूत होने से ही पंजाब समेत देशभर का ग्रामीण ढांचा बचा रह सका है.
'प्रधानमंत्री स्थायी रूप से हल करें यह मसला'इन नेताओं ने प्रधानमंत्री से कहा है कि अपने भविष्य को लेकर चिंतित देश का किसान बुजुर्गों और बच्चों समेत अपना घर बार छोड़ कर दिल्ली की सरहदों पर बैठा है, जो मानवीय हकों के भी विरुद्ध है. अब जब किसान नेताओं की ओर से एक बार फिर बातचीत का न्योता दिया गया है, तो प्रधानमंत्री को भी विनम्रता और खुले दिल के साथ इस बुलावे को क़बूल करते हुए फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए और इस मसले का स्थायी हल करना चाहिए.
'किसानों की पहल को गम्भीरता से लें पीएम'
आम आदमी पार्टी की तरफ से इन दोनों नेताओं ने फिर से प्रधानमंत्री से अपील की है कि समूचे देश और हर वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े ये तीनों कानून वापस ले.
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इन्होंने प्रधानमंत्री के उस बयान का भी उल्लेख किया है, जब प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसानों और सरकार के बीच केवल एक कॉल की दूरी है. उन्होंने कहा कि अब जब किसान बातचीत करने का न्योता दे रहे हैं, तो प्रधानमंत्री को खुद इस बुलावे को गंभीरता के साथ लेकर किसानों के साथ बातचीत करके कृषि बिलों का हल करना चाहिए.
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